कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हाईकोर्ट परिसर में बाबा साहेब अंबेडकर मूर्ति विवाद गहराता जा रहा है। बार एसोशिएशन ने खिलाफ में मोर्चा खोल दिया है। दूसरी तरह मूर्ति लगवाने वाली अधिवक्ताओं की टीम ने अनुमति के आधार पर मूर्ति लगाने की बात कही है। परिसर में मूर्ति लगाने का काम तेजी से चल रहा है। शुक्रवार को बार एसोसिएशन के सदस्यों ने रेड रिबन बांधकर मूर्ति निर्माण रोकने प्रदर्शन किया। वकीलों ने एकजुट होकर मूर्ति निर्माण को अनुमति मिलने तक रुकवा दिया है।
जात पात से ऊपर उठकर कोई भी मूर्ति नहीं लगाई जाएगी
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन पाठक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि चौक चौराहों सहित सार्वजनिक स्थान से जुड़ी जगहों पर किसी भी महापुरुष की मूर्ति नहीं लगाई जाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट परिसर में मूर्ति लगाने फाउंडेशन स्ट्रक्चर तैयार कर दिया गया है। बिना अनुमति तैयार स्ट्रक्चर को लेकर कोई भी अधिकारी सही जबाब नहीं दे रहा है। ऐसे में बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास किया है कि परिसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ध्यान रखते हुए कोई भी मूर्ति नहीं लगाई जाएगी।
न्यायालय परिसर सर्वधर्म समभाव
न भगवान राम, न श्याम न अंबेडकर, कोई भी मूर्ति परिसर में नही लगाई जानी चाहिए। क्योंकि न्यायालय सर्वधर्म समभाव और जात पात से ऊपर उठकर काम करता है। एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह का कहना है कि देश के सुप्रीम कोर्ट में अंबेडकर की प्रतिमा लगी है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट मुख्यपीठ जबलपुर में भी मूर्ति लगी है। ऐसे में बार एसोसिएशन का विरोध गलत है। हाईकोर्ट की अनुमति के साथ ही अंबेडकर की मूर्ति को परिसर में स्थापित किया जाएगा।

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