हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर में नए पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के कार्यभार संभालने के कुछ ही समय बाद अपराधियों ने खुली चुनौती देते हुए चाकूबाजी की घटना को अंजाम दिया। इस घटना ने शहर की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सेंट्रल कोतवाली थाने में एक व्यापारी ने कुछ गुंडों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें धमकी दी जा रही है और जानलेवा हमला हो सकता है।

FIR के बावजूद अपराधियों का हमला, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

घटना के अनुसार, फरियादी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ अपराधी उनकी जान के दुश्मन बने हुए हैं और उनकी सुरक्षा को खतरा है। FIR दर्ज होने के अगले ही दिन अपराधियों ने फरियादी पक्ष पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उनके जान पर बन आई। इसके बावजूद पुलिस ने घटना को लेकर तुरंत कार्रवाई नहीं की, और अपराधी फरियादी पर हमला करने के बाद भी आजाद घूम रहे हैं।

अपराधियों के समर्थन में राजनीतिक दबाव का आरोप

सूत्रों के अनुसार, घटना के बाद भाजपा विधायक गोलू शुक्ला ने पुलिस पर दबाव बनाया कि फरियादी पक्ष पर भी FIR दर्ज की जाए। विधायक ने 307 की धारा के तहत शिकायत दर्ज कराने की मांग की थी। हालांकि, DCP ने इस राजनीतिक दबाव का विरोध करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वे विधायक के कहने पर ऐसी कार्रवाई नहीं करेंगे। इसके साथ ही कड़क लिहाजा में डीसीपी ने विधायक गोलू शुक्ला को यहां तक का डाला अगर ट्रांसफर करवाना है तो वह करवा दें लेकिन वह अपनी कार्यशैली को नहीं बदल सकते। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों का आपराधिक इतिहास होने की वजह से पुलिस भी इस मामले में असमंजस में है, लेकिन FIR दर्ज होने के बाद भी अपराधियों पर कार्रवाई न करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

पुलिस की निष्क्रियता पर फरियादी पक्ष का गंभीर आरोप

फरियादी पक्ष ने पुलिस पर लेनदेन और राजनीतिक दबाव के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि FIR के बाद भी पुलिस ने अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया। फरियादी का यह भी आरोप है कि पुलिस ने अपराधियों से पैसे का लेनदेन भी कर लिया है। जिसके कारण पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। यह आरोप सीधे-सीधे थाना प्रभारी रविंद्र पाराशर पर लगाते हुए नजर आ रहे हैं। फरियादी का कहना है कि अगर पुलिस ने सही समय पर कदम उठाए होते, तो उन पर चाकू से हमला न होता। उन्होंने इस घटना में पुलिस की निष्क्रियता को भी दोषी ठहराया है।

मजबूत कमिश्नर के आने के बावजूद थानों में कमजोर कानून व्यवस्था

इंदौर में संतोष कुमार सिंह के कमिश्नर बनकर आने के बाद उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे अपराधियों में पुलिस का खौफ बढ़ाएंगे। उनका कार्यकाल पहले भी सख्त कार्यप्रणाली के लिए जाना गया है। लेकिन इस घटना में पुलिस की निष्क्रियता ने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। कमिश्नर के आने के बाद भी थाने में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने से शहर में उनकी साख पर असर पड़ सकता है।

घटना से पुलिस की छवि को झटका

इस पूरी घटना से शहर में पुलिस की छवि को झटका लगा है। जनता में यह सवाल उठ रहा है कि FIR के बावजूद अपराधियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? राजनीतिक दबाव और थाने में लेनदेन के आरोपों ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है। ऐसे में पुलिस पर जनता का भरोसा बहाल करने और अपराधियों पर कार्रवाई करने का दबाव है। इंदौर पुलिस और नए कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के लिए यह मामला चुनौती बन गया है।

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