अमित कोड़ले, बैतूल। विजयदशमी के अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में रावण और कुंभकरण के पुतले का दहन किया गया. जैसे ही रावण और कुंभकरण के पुतले का दहन हुआ, वैसे ही लोग अचानक ही जली हुई लकड़ी लेने बड़ी संख्या में टूट पड़े. लकड़ी लेने को लेकर भीड़ छीना-झपटी करते दिखाई दी.
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इसके पीछे मान्यता है कि रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी घर में रखने से प्रेत आत्माओं का प्रवेश घर में नहीं होता है. वही बच्चों को नजर नहीं लगती है. लोगों में विश्वास है कि यह लकड़ी रखने से काला जादू का असर भी परिवार में नहीं होता है. कई लोग केवल रावण दहन देखने इसी वजह से आते हैं. क्योंकि उन्हें रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी लेना रहता है. साल भर अपने घर की सुरक्षा करने रावण दहन में जली हुई लकड़ी को घरों मे रखा जाता है.
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