कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में शिक्षा माफिया का मकड़जाल फैला हुआ है। यूनिवर्सिटी और शिक्षा माफियाओं के गठजोड़ से न सिर्फ फर्जी कॉलेज संचालित हो रहें हैं, बल्कि फ़र्जी कागज़ों के आधार पर छात्रवृत्ति के जरिए सरकार को करोड़ों को चूना लगाया जा रहा है। ग्वालियर चम्बल अंचल में उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते हुए 23 मई 1964 को ग्वालियर में जीवाजी विश्विद्यालय को स्थापित किया गया।लेकिन आज यह जीवाजी विश्विद्यालय फर्जीवाडा विश्विद्यालय के नाम से बदनाम हो गया है। खासकर जब विश्विद्यालय के कुलगुरु सहित 19 प्रोफेसर्स के खिलाफ EOW में FIR दर्ज की गई है। जीवाजी यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध 373 निजी कॉलेजों में 50 फीसदी कॉलेज मापदंड के बिना संचालित हो रहें हैं। 

ग्रामीण इलाकों में तो नाम मात्र के कॉलेज

ग्वालियर में कई जगह एक कमरे में कॉलेज चल रहे हैं। दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में तो नाम मात्र के कॉलेज यानी सिर्फ कागजों में ही कॉलेज संचालित हो रहे है। यह सभी आरोप डॉ अरुण शर्मा द्वारा लगाए हैं, उनकी शिकायत के मुताबिक पहले तो यूनिवर्सिटी द्वारा कॉलेज को मान्यता देने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। फिर उन्ही कॉलेजो के जरिये अरबो का भ्रष्टाचार किया जाता है। प्रोफेसर डॉ अरुण शर्मा की शिकायत में यह बड़े दावे किए गए हैं। 

  • 35 अरब 64 करोड़ 60 लाख का कुल घोटाले का आरोप
  • सत्र 2011-12 से 2023-24 के बीच घोटाले का आरोप
  • विश्वविद्यालय के निरीक्षण दल,नोडल केंद्र प्राचार्य और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों पर 15% की साझेदारी का आरोप
  • जीवाजी विश्विद्यालय से सम्बद्धता, स्कॉलरशिप और फर्जी शिक्षको के नाम पर घोटाले का आरोप
  • जीवाजी विश्विद्यालय में B.ed कोर्स वाले कॉलेजो में OBC, SCST स्कॉलरशिप और आवास सहायता के जरिये ही लगभग एक साल में 01 अरब 25 करोड़ 40 लाख रुपये का घोटाला आरोप
  • जनरल कोर्स के कॉलेजो में OBC, SCST स्कॉलरशिप और आवास सहायता के जरिये एक साल में 01 अरब 48 करोड़ रुपये घोटाला आरोप

छात्र संगठनों ने भी अपना आंदोलन तेज कर दिया

जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा झुंडपुरा कॉलेज को फर्जी मान्यता देने के चलते EWO ने कुलगुरु डॉ अविनाश तिवारी सहित 19 प्रोफेसर्स पर केस दर्ज किया है। इन सभी पर धारा 420 467 468 120 भी जैसे गंभीर अपराध हैं। इसके बाद छात्र संगठनों ने भी अपना आंदोलन तेज कर दिया। कुलगुरु के इस्तीफे की मांग को लेकर EC मेंबर्स के साथ ही छात्र संगठन लामबंद हो गए हैं। एनएसयूआई ने जहां कुलपति के चेंबर सहित अन्य जगहों पर कालिख पोती, हवन किये, तो वहीं छात्र संगठनों ने ही गणतंत्र दिवस पर कुलगुरु के द्वारा झंडा वंदन किया जाने का जोरदार विरोध भी किया। जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की गई है।

जीवाजी विश्विद्यालय और उससे जुड़े कॉलेजो में अरबो के घोटाले का आरोप  

  • NCTE नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त B.ED कॉलेज जिन्हें एफिलेशन जीवाजी विश्वविद्यालय देता है। 
  • MP हायर एजुकेशन भोपाल से मान्यता प्राप्त 173 जनरल कॉलेजों को एफिलेशन जीवाजी विश्वविद्यालय देता है। 
  • MPNRC और INC नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त 180 नर्सिंग कॉलेजो जिनमे B.SC नर्सिंग और GNM कोर्स में एफिलेशन सहित अन्य फर्जीवाड़ा किया। 
  • MP बोर्ड भोपाल से मान्यता प्राप्त 81 D.El.ed कॉलेजो में निरीक्षण, एफिलेशन सहित अन्य फर्जीवाड़ा।ग्वालियर चम्बल अंचल में कुल ऐसे 640 महाविद्यालय संचालित है,जिनपर फर्जीवाड़े का आरोप है। 
  • जीवाजी के अध्यादेश के मुताबिक इन अलग अलग कोर्स को एक ही परिसर में संचालित किया जा सकता है,लेकिन भवन अलग अलग होना चाहिए। 
  • झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज सम्बद्धता फर्जीवाडा के बाद ही EOW ने बड़ी कार्रवाई की है।

जीवाजी विश्वविद्यालय के EC मेंबर भी पूर्व में हुई विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद बैठक में इन सभी फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। यही वजह है कि EC मेंबर संजय यादव का कहना है कि विश्वविद्यालय में हुए फर्जीवाड़े के बाद कुलगुरू अविनाश तिवारी पर हुई FIR को देखते हुए उन्हें अपने पद से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।

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कॉलेज का फर्जीवाड़ा, EOW में FIR और फिर छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए डॉ मोहन सरकार ने जीवाजी विश्वविद्यालय से सम्बद्धता वाले सभी प्राइवेट कॉलेज का भौतिक सत्यापन शुरू कर दिया। ग्राउंड जीरो पर पहुंच इन कॉलेजों की जांच की जा रही है। ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान के द्वारा अलग-अलग टीमें बनाकर  जीवाजी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सभी निजी कॉलेजों का सत्यापन कराया जा रहा है। कलेक्टर का कहना है कि जल्द ही रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी।

जीवाजी विश्विद्यालय भ्रष्टाचार के मकड़जाल में पूरी तरह से फंस चुका है। EOW FIR के बाद आगे की जांच में जुटी है। वहीं छात्र संगठन सहित EC मेंबर भी अब खुलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ और उसमें लिप्त दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब तक जीवाजी विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार के मकड़जाल से मुक्त हो पाता है।