कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश सहित देश भर में ड्रग्स की खेती और उनके स्रोत की पहचान के लिए डाटाबेस तैयार करना होगा। यह बात एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट ने कही है। हाईकोर्ट ने इसको लेकर विशेषज्ञों से गहन तकनीकी सुझाव भी मंगवाए हैं। इस विषय में केंद्रीय गृह मंत्रालय को विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।

दरअसल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में मादक पदार्थों की अवैध खेती और स्रोत की पहचान को लेकर याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिसमें वैज्ञानिक तरीकों से नशे के कारोबार की तह तक पहुंचने का रास्ता खुल रहा है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विशेषज्ञों से गहन तकनीकी सुझाव मंगवाए हैं। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय और संबंधित संस्थाओं को डाटा बैंक तैयार करने की दिशा में निर्देश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान एनएफएसयू गांधीनगर के डिप्टी डायरेक्टर अजय कुमार सोनी ने कोर्ट को बताया है कि यदि अफीम गांजा आदि पौध आधारित मादक पदार्थों के नमूने उपलब्ध कराया जाए तो उनकी रासायनिक जांच कर एक डेटाबेस तैयार किया जा सकता है। इससे उनके स्रोत की पहचान करना भी संभव होगा। इस तकनीकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन से क्षेत्र में यह फैसले उगाई जा रही है, और कौन इनके पीछे है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन वैज्ञानिक सवालों को उठाया जिसके जरिए ड्रग्स के स्रोत का पता लगाने की संभावना शामिल है
– उपग्रह निगरानी
– मिट्टी परीक्षण
– परागकण
– डीएनए सेंपलिंग
– कार्बन डेटिंग
हाईकोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या मिट्टी में ऐसे मार्कर डाले जा सकते हैं, जिनसे पता चल सके कि वहां मादक फसल की खेती हुई थी। हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया है कि वे इस विषय में विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करें और स्पष्ट करें कि क्या जब्त किए गए मादक पदार्थों के नमूने एनएफएसयू को नियमित रूप से परीक्षण अनुसंधान के लिए भेजे जा सकते हैं। यह हलफनामा 26 अगस्त तक पेश करना होगा।
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