इमरान खान, खंडवा/ हरीश शर्मा, ओंकारेश्वर. भगवान ओंकारेश्वर को अर्पित किए गए फूलों की महक से देशभर में घर और मंदिर महकेंगे. भगवान पर चढ़े फूलों से धूप, अगरबत्ती, तिलक बनाने का काम प्रशासन ने समूह के जरिए किया है. ओंकारेश्वर के शिवशक्ति स्व-सहायता समूह ने इको निर्मित पुष्पांजलि अगरबत्ती बनने का काम शुरू कर दिया है. इसकी पैकिंग भी हो चुकी है. अब इसके बिक्री की तैयारी है.

खंडवा जिले की तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए रोज 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ओंकारेश्वर आते हैं. विशेष पर्व, अमावस्या, पूर्णिमा पर यह संख्या 1 लाख से ज्यादा हो जाती है. रोज भगवान को एक क्विंटल से ज्यादा फूल चढ़ते हैं. अब ये फूल बेकार नहीं जाएंगे. कलेक्टर ऋषव गुप्ता की पहल पर फूलों से अगरबत्ती बन रही है. समूह की महिलाएं फूल लाकर पहले छांटती हैं. फिर फूलों से पत्तियां अलग कर सुखाती हैं. जोस पाउडर और इत्र मिलाकर धूप-अगरबत्ती बना रही हैं. कलेक्टर की इस पहल से न केवल मां नर्मदा प्रदूषण से मुक्त हो रही है, बल्कि महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा जा रहा है.

फूलों और बेलपत्रों से अगरबत्ती का निर्माण

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान को चढ़े फूलों से अब घर-आंगन, देवालय महक रहे हैं. ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने जिला प्रशासन और पुष्पांजलि इको निर्मित के सहयोग से मंदिर में अर्पित फूलों और बेलपत्रों से अगरबत्ती का निर्माण की अभिनव पहल शुरू की है. जो न केवल स्वच्छता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही है.

ओंकारेश्वर में हर दिन 50 हजार से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है. शनिवार से सोमवार तक संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है. वहीं विशेष दिन और पर्व पर भक्तों की संख्या लाखों में होती है. ऐसे में प्रतिदिन मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले फूलों और अन्य पूजन सामग्री को अब बेकार नहीं जाने दिया जा रहा. ट्रस्ट इन फूलों को एकत्र कर स्थानीय महिलाओं के हाथों में सौंप रही है. जो इन फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनने लगी है.

महिलाओं की आय में वृद्धि

पुष्पांजलि इको निर्मित संस्था इन महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, मशीनें और आवश्यक सहयोग प्रदान कर रही है. जिससे वे अगरबत्ती, धूपबत्ती, हवन सामग्री, प्राकृतिक जैविक खाद और प्राकृतिक रंग जैसे उत्पाद तैयार कर रही हैं. ये उत्पाद न केवल मंदिर परिसर में, बल्कि स्थानीय बाजारों में भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. जिससे इन महिलाओं की आय में वृद्धि हो रही है. यह पहल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है.

स्वच्छ भारत मिशन को भी समर्थन दे रहा यह मॉडल

फूलों के कचरे को उपयोग में बदलकर यह मॉडल स्वच्छ भारत मिशन को भी सशक्त रूप से समर्थन दे रहा है. ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के इस प्रयास को जिला प्रशासन का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है. यह साझेदारी न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रही है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है. यह मॉडल तीर्थ स्थल पर आस्था, पर्यावरण और आत्मनिर्भरता के संगम को दर्शाता है.

नई शक्ति बनकर उभर रहीं महिलाएं

कलेक्टर ने कहा कि श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग अब केवल भक्ति का केंद्र ही नहीं, बल्कि एक ऐसा उदाहरण बन रहा है जो यह साबित करता है कि आस्था और पर्यावरण संरक्षण एक साथ चल सकते हैं. इस राह पर महिलाएं समाज की नई शक्ति बनकर उभर रही हैं.

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