हेमंत शर्मा, इंदौर। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अपनी जुबान फिसलने और विवादित बयानबाजी को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला और भी गंभीर हो गया जब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में “वीडी शर्मा जिंदाबाद, हेमंत खंडेलवाल मुर्दाबाद” बोल दिया। और जब इस बयान को पत्रकारों ने रिकॉर्ड किया तो माफी मांगने की बजाय उल्टा पत्रकारों को ही धमकी दे डाली।
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की फिसली जुबान
पूरा मामला बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से जुड़ा है। यहां नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने बीजेपी कार्यालय में प्रेस वार्ता बुलाई थी। इसी प्रेस वार्ता के दौरान कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए साथियों के संदर्भ में कहा- “कुछ कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता जुड़े हैं। सब कार्यक्रम खत्म होने के बाद हम सब बैठे थे। उन्होंने कहा कि हम तो कभी कांग्रेस में सोच भी नहीं सकते कि कोई पर्ची आएगी, खुल जाएगी, कोई जिंदाबाद-मुर्दाबाद नहीं होगा। कार्यकर्ता कल तक वीडी शर्मा जिंदाबाद बोल रहे थे, अब हेमंत खंडेलवाल मुर्दाबाद बोल रहे हैं। ये Discipline हमने कहीं नहीं देखा।” उनकी इस टिप्पणी पर बगल में बैठे विधायक मधु वर्मा ने तुरंत टोका।
बयान के बाद सुधारी गलती
जिसके बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी गलती सुधारी और हंसते हुए पत्रकारों से कहा, “मैं फिर से बोलता हूं, उन्होंने ये कहा कि मैं पहली बार देखा रहा हूं कि किसी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो। केंद्रीय नेतृत्व आए और वो बता दे कि ये उम्मीदवार है। दो दिन तक फॉर्म भरने के लिए इंतजार करे। किसी ने फॉर्म नहीं भरा। और फिर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी। वीडी शर्मा जिंदाबाद बोलते रहे। जब उन्हें जिम्मेदारी दी गई तो हेमंत खंडेलवाल जिंदाबाद। हम बचपन से कांग्रेस में हैं, यह कभी देखा ही नहीं। यह सिर्फ भाजपा में संभव है। ऐसा मेरे कांग्रेस के मित्र ने कहा।”
पत्रकारों को दी धमकी- “इसको डिलीट कर देना नहीं तो मैं ठीक कर दूंगा”
इस बीच मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हंसते हुए पत्रकारों को धमकाते हुए कहा- “इसको डिलीट कर देना नहीं तो मैं ठीक कर दूंगा।” इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लेकिन मंत्री ने अब तक न इस पर सफाई दी और न ही माफी मांगी। उल्टा धमकी देकर मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा कर दिया।
पहले भी फिसल चुकी है मंत्री की जुबान
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय की जुबान फिसली हो। लेकिन वरिष्ठता के बावजूद इस तरह की भाषा और पत्रकारों को धमकाने जैसा व्यवहार पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
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