देवास/भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास जिले में वन विभाग के द्वारा बीते दिनों आदिवासी परिवारों के आशियाने पर बुलडोजर कार्रवाई की गई थी। इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने दिनांक 24.06.2025 को ‘वन विभाग ने उजाड़ दिए गरीबों के आशियाने: बारिश में आदिवासी परिवारों की झोपड़ियों पर चला बुलडोजर, पानी की तरह मासूम बच्ची के बहे आंसू ‘ इस हेडलाइन से प्रमुखता से प्रकाशित किया था। वहीं लल्लूराम डॉट कॉम की इस खबर पर ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए वन विभाग, एसपी,कलेक्टर समेत प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही इस मामले में कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। NCST के राष्ट्रीय अध्यक्ष अन्तर सिंह आर्य भी अपने सभी दौरे रद्द कर मंगलवार 1 जुलाई को प्रभावितों से मुलाकात करने देवास पहुंचेंगे।         

यह है पूरा मामला 

बता दें कि देवास जिले के खिवनी अभ्यारणय से लगे जंगल मे पिछले कई सालों से आदिवासी परिवारों के लोग कच्चा मकान बनाकर अपना गुजर बसर कर रहे थे। वन विभाग ने भरे बारिश में आदिवासी परिवारों को बिना कोई नोटिस दिए बुलडोजर कार्रवाई की। वन विभाग की टीम ने आदिवासी परिवारों के आशियाने को तोड़कर धराशायी कर दिया। इस दौरान कई परिवार तो ऐसे भी थे, जिन्होंने अपने घर के अंदर से अपना जरूरी सामान तक बाहर नहीं निकाला था। लेकिन फिर भी बेरहम वन कर्मियों का दिल नहीं पसीजा। 

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वन विभाग ने आदिवासी परिवारों के करीबन 30-35 आशियाने तोड़े है। आदिवासी परिवार वन विभाग के अधिकारियों से मकान नहीं तोड़ने की गुहार लगाते रहे। महिलाएं अपने टूटते मकानों को देख रोती बिलखती रही। छोटे छोटे बच्चे भी टूटते मकान को देखकर रोते रहे। लेकिन वन अधिकारियों ने आदिवासियों की एक न सुनी। बेरहमी से मकान पर बुलडोजर चलाकर पूरे परिवार को खुले आसमान के नीचे कर दिया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य ने लल्लूराम से बातचीत के दौरान बताया कि खबर पर आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। मामले पर अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया है। वन विभाग के प्रधान वन संरक्षक एवं बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव, जिला कलेक्टर सीहोर, जिला कलेक्टर देवास और दोनों ही जिलों के पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा गया है। इन अधिकारियों को कल मौका मुआयना के दौरान मौके पर मौजूद रहने का निर्देश भी दिया गया है।

बारिश में बिस्तर, कपड़े और अनाज सब कुछ भीग गया 

आदिवासियों ने बताया कि बारिश के मौसम में वन विभाग ने बिना सूचना के हमारे घर तोड़ दिए। जबकि करीब 25-30 साल से हमारे मकान यहां बने हुए थे। बारिश में हमे छोटे छोटे बच्चों के साथ बेघर कर दिया। हमारे कई लोग मकान के भीतर से सामान भी नहीं निकाल पाए। जिन्होंने सामान निकाला वह भी बारिश में भीग गया। बारिश में बिस्तर, कपड़े और अनाज सब कुछ भीग गया। यही कार्रवाई वन विभाग पहले करता तो हम कोई विकल्प ढूंढ लेते। कई सालों से वन विभाग गहरी नींद में सोया रहा। अब बारिश के मौसम में हमारे मकान तोड़ने की याद आई।

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