इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश का निमाड़ मुख्य रूप से कपास और प्याज की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है. खंडवा जिले को खास कर प्याज की फसल के लिए चुना गया है. खंडवा में गर्मी और बारिश यानी दो मौसमों में प्याज की पैदावार की जाती है. लेकिन इन दोनों प्याज उत्पादक किसान परेशान है. किसानों की परेशानी का बड़ा कारण है. प्याज में जलेबी रोग. यह एक तरह की बीमारी ही जो प्याज की फसल को टेढ़ी-मेढ़ी कर देती है. इसी वहज से किसान इसे जलेबी रोग कहते हैं.
दरअसल, प्याज में ये बीमारी भारी बारिश की वजह से जल भराव या तेज उमस के कारण होती है. प्याज में थ्रिप्स कीट की वजह से यह रोग लगता है. समय रहते खेत से पानी की निकासी या सही दवाई का छिड़काव नहीं होने से फसल खराब होने का खतरा बना रहता है. किसानों का कहना है कि मौसम की मार की वजह से उनकी पकी पकाई फसल खराब हो रही है. हालांकि, वह उसे बचाने का जतन कर रहे है. लेकिन उनका कहना है कि अब लागत मूल्य तो दूर अन्य खर्च निकल पाना भी मुश्किल लग रहा है.
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इधर, मौसम और कृषि वैज्ञानिक सौरभ गुप्ता ने बताया कि अभी प्याज में थ्रिप्स का अटक हुआ है. क्योंकि अभी तीन चार दिन से तेज़ बारिश हो रही है. इससे पहले तेज धूप थी. जिससे बहुत उमस हो रही थी. ऐसे में ठंडा गर्म मौसम होने से फसलों में किट का प्रकोप बढ़ा. जिससे थ्रिप्स का अटक हुए है. इससे प्याज की पत्तियां पीली पड़ने लगी है और वह जलेबी की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने लगी है. इसलिए इसे जलेबी रोग भी कहते है.
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इस रोग के बढ़ने से प्याज का कंद अंदर ही अंदर सड़ने लगता है. इससे बचने के लिए किसानों को नमी, उमस और भारी बारिश से अपनी फसलों को बचना चाहिए. मौसम और कृषि वैज्ञानिक की मानें तो मौसम के कारण और उर्वरकों का सही मैनेजमेंट नहीं होने से इस तरह की स्थिति बनती है. उनका कहना है कि खेत की देखभाल के साथ ही सही दवाई का उपयोग होने से फसल को बचाया जा सकता है.
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