शरद पाठक, पांढुर्णा। क्या आपने कभी कोई ऐसी भी जंग देखी है जहां दो गांवों के बीच, हर साल, दोनों तरफ से एक दूसरे पर पूरी बेरहमी से दिन भर पत्थर बरसाये जाते है. वो भी किसी की मोहब्बत की दास्तां को याद करने के लिए. इसे हम आधुनिक भाषा में आनर किलिंग फेस्टिवल भी कह सकते हैं. बर्बरता, आस्था और प्रेम तीनों ही मानव के जन्मजात गुण होते हैं। कई बार इन तीनों का संगम भी देखने में आता है। ऐसा ही एक मंजर छिंदवाड़ा (अब जिला पांढुर्ना) शहर में देखने को मिला वो भी एक सार्वजनिक त्योहार के रूप में.
दरअसल परंपरा के नाम पर प्रसिद्ध पांढुर्णा गोटमार मेले में आज लगभग 500 लोग घायल है. एक गंभीर को नागपुर रेफर किया गया है. जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी गोफन और पत्थरबाजी नहीं रुकी. लोगों एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए। प्रशासन की ओर से घायलों के अधिकृत आंकड़े सामने नहीं आए हैं.

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