हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में सदियों पुरानी परंपरा के केंद्र ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दानपेटी रखने पर विवाद की स्थिति बन गई है। प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर परिसर में ममलेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के नाम से दानपेटी स्थापित कर दी है। इस निर्णय से वर्षों से मंदिर की पूजा-अर्चना और देखरेख कर रहे आदिवासी पुजारी समुदाय में भारी आक्रोश है। नायब तहसीलदार उदय मंडलोई ममलेश्वर मंदिर पहुंचे और प्रशासनिक रूप से सील की गई दानपेटी को मंदिर परिसर में स्थापित कराया है।
हमारी आस्था और परंपरा के विरुद्ध
दुलेसिंह दरबार, मंदिर व्यवस्थापक ने कार्यवाही का विरोध करते हुए कहा कि हमारे पूर्वज सदियों से इस मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं। दान से प्राप्त राशि का उपयोग भी हमारे समाज के हित के लिए होता रहा है। बिना सूचना और चर्चा के दानपेटी रखना न केवल हमारी आस्था बल्कि परंपरा के विरुद्ध है।
मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन
ममलेश्वर मंदिर, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के समक्ष नर्मदा के उत्तर तट पर स्थित है। मंदिर की संरचना भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, किंतु पूजा-पाठ और व्यवस्थाएं स्थानीय आदिवासी पुजारियों द्वारा की जाती हैं। देवी अहिल्याबाई होलकर के काल में भी इस मंदिर में पूजा का विशेष महत्व रहा है।
संघर्ष की स्थिति हो सकती है उत्पन्न
प्रशासनिक सूत्रों का मानना है कि यह कदम भविष्य में ममलेश्वर कॉरिडोर निर्माण की दिशा में पहला चरण हो सकता है। वर्तमान में ओंकारेश्वर में निर्माणाधीन कॉरिडोर की तर्ज पर, ममलेश्वर मंदिर को भी विकसित करने की योजना है। हालांकि, स्थानीय समाज का कहना है कि विकास के नाम पर यदि परंपराओं को कुचला गया, तो संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

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