अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश में यूं तो करप्शन के अनेकों मामले सामने आते हैं। लेकिन अब तो इस तरह सरकारी खजाने पर भ्रष्टाचारी इस तरह डाका डाल रहे हैं कि अंधा भी उनकी चोरी पकड़ ले। दरअसल, एमपी के शहडोल में भ्रष्टाचार की हद उस समय पार हो गई जब दो सरकारी स्कूल में साधारण रंगाई और मेंटेनेंस के काम के लिए 443 लेबर और 215 राजमिस्त्री दर्शाकर सवा 3 लाख रुपए से ज्यादा का बिल बना दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि DEO ने इसकी एवज में बने लाखों के बिल को पास भी कर दिया।

मामूली काम, फर्जी एंट्री और लाखों का भुगतान

मामला ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के सकंदी और निपानिया गांव के स्कूलों से जुड़ा है। जहां सरकारी स्कूलों में अनुरक्षण (मेंटेनेंस) काम के नाम पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जनपद पंचायत ब्यौहारी के शासकीय हाई स्कूल सकंदी और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया में पुताई, दरवाजा-खिड़की फिटिंग जैसे मामूली काम के लिए सैकड़ों लेबर और मिस्त्रियों की फर्जी एंट्री दर्शाकर लाखों रुपये का भुगतान कर लिया गया।

सकंदी के हाई स्कूल के लिए 1,06,984 रुपए का भुगतान

सकंदी गांव के हाई स्कूल में सिर्फ 4 लीटर ऑयल पेंट की पुताई के लिए 168 लेबर और 65 राजमिस्त्री दिखाए गए। हैरानी की बात ये है कि इस काम के लिए कुल 1,06,984 का भुगतान कर लिया गया है। इस भुगतान की मंजूरी प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपाची ने दी और कोषालय से पैसे निकाल लिए।

निपनिया स्कूल के लिए 2,31,685 रुपए का भुगतान

इसी तरह निपनिया स्कूल में 275 लेबर और 150 मिस्त्री दिखाकर 20 लीटर पेंटिंग, 10 खिड़की और 4 दरवाजों की फिटिंग का काम दिखाया गया। इस के लिए 2,31,685 की राशि का भुगतान किया गया। मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिल 5 मई 2025 को सुधाकर कंस्ट्रक्शन की ओर से तैयार किया गया। जबकि स्कूल प्राचार्य ने उसे 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया। यानी बिल बनने से एक महीने पहले ही उसकी मंजूरी दे दी गई। जो खुद में ही फर्जीवाड़े का पुख्ता संकेत देता है।

फर्जीवाड़े की जांच की मांग

बता दें कि मेंटेनेंस मद से कराए जाने वाले कामों में पहले और बाद में फोटोग्राफ्स बिल के साथ संलग्न करना जरूरी होता है। लेकिन इन दोनों मामलों में न तो काम के पहले की तस्वीरें हैं और न ही बाद की। इसके बावजूद कोषालय (ट्रेजरी ऑफिस) ने बिना आवश्यक दस्तावेजों के ही भुगतान कर दिया। अब यह मामला सामने आने के बाद जिले भर में हलचल है। आमजन, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षा प्रेमी इस फर्जीवाड़े की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं ताकि दोषियों को सजा और जनता के पैसे की बर्बादी पर रोक लगाई जा सके। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

DEO का अजीबो-गरीब बयान

इस मामले पर शहडोल के जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपाची ने बेहद अजीबो गरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर जो बिल वायरल किया जा रहा है, उसकी जांच कराई जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसकी जानकारी दे दी जाएगी।” DEO ने कहीं भी कार्रवाई करने या फिर लापरवाही जैसी कोई बात इस दौरान नहीं कही। 

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