अजयारविंद नामदेव, शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन अब सवाल उठ रहा है। वाकई पैसा खर्च हुआ कहां, विधानसभा के मानसून सत्र में ब्यौहारी विधायक शरद जुगलाल कोल ने यह मुद्दा जोरशोर से उठाया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए प्रश्न क्रमांक 2289 के माध्यम से पिछले 10 वर्षों (2015-16 से 2024-25) तक की सभी वित्तीय जानकारी तलब की है।

 क्या है मामला 

शासकीय हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में बीते वर्षों में फर्नीचर, उपकरण, मरम्मत और निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन अब तक न तो काम की तस्वीरें दिखीं, न बिल, न प्रमाणपत्र। विधायक शरद कोल ने विधानसभा में सवाल किया है कि क्या 2015 से अब तक शहडोल जिले के स्कूलों को हर साल शासन से कोई राशि प्राप्त हुई है। यदि हां, तो वह किस स्कूल को मिली, कितनी मिली, और कहां उपयोग हुई,उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्षवार विवरण, मदवार उपयोग, कौन-सी क्रियान्वयन एजेंसी जिम्मेदार थी, भुगतान किसके नाम और किस माध्यम से हुआ (RTGS/नकद/चेक), सभी भुगतान पावती, बिल-वाउचर और दस्तावेज, यह पूरा लेखा-जोखा अब विधानसभा में देना अनिवार्य होगा। 

DEO और JD को 28 जुलाई तक मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय में करना है जमा

शहडोल के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और संयुक्त संचालक (JD) को यह जवाब तैयार कर 28 जुलाई 2025  तक मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय में जमा कराना है। यदि इसमें कोई अनियमितता या वित्तीय गड़बड़ी सामने आती है, तो बड़े स्तर पर वसूली और कार्रवाई तय मानी जा रही है।

पेंट घोटाले से खुली पोल, अब आएगा हर स्कूल का सच

हाल ही में उजागर हुए पेंट घोटाले में सामने आया था कि कागजों में पेंट हो गए स्कूल, लेकिन ज़मीन पर एक बूंद रंग नहीं दिखी,इस घोटाले ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया। अब यह नया मामला सामने आने के बाद हर सरकारी स्कूल की 10 साल की फाइलें खोली जाएंगी, और हर खर्च जनता के सामने आएगा। 

शहडोल के स्कूलों में शिक्षा की आड़ में हो रही वित्तीय लापरवाही अब विधानसभा के दरवाजे तक पहुंच चुकी है। यदि समय रहते जवाब नहीं आया या बिल न मिले, प्रमाण न दिखे, तो सरकार कड़ी कार्रवाई के मूड में है। जनता अब जानना चाहती है, बच्चों की शिक्षा पर आया पैसा आखिर गया कहां ? इस पूरे मामले में  भाजपा विधायक शरद कोल का कहना है कि उक्त मामले को विधानसभा में सवाल किया था, संभवतः उसका पत्र भी आ गया होगा। 

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