
कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। सोशल मीडिया पर अश्लील रील्स और कंटेंट दिखाने को ग्वालियर हाईकोर्ट ने गंभीर माना है। हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विधि संवत कार्रवाई के आदेश भारत सरकार को दिए हैं। इसी के साथ इस गम्भीर मुद्दे को उठाने वाली देश की पहली पीआईएल (Public Interest Litigation) को डिस्पोज कर दिया गया।
सरकार ने कानून बनाने की बात कही
हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर रील्स के जरिये अश्लीलता दिखाने को समाज के लिए गम्भीर माना है। भारत सरकार ने भी कोर्ट में स्वीकार किया कि अश्लीलता को रोकना जरूरी है। भारत सरकार ने इसे रोकने कानून बनाने की बात भी कोर्ट में कही। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को भी निर्देश दिए कि वह केंद्रीय आईटी विभाग को आदेश की सर्टिफाइट कॉपी के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत करें और जिम्मेदारी के साथ केंद्र सरकार उस पर विधि संवत कार्रवाई करें।
फेसबुक, मेटा, यूट्यूब, गूगल को बनाया था पार्टी
बता दें कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट में मुरार निवासी अनिल बनवारिया ने एडवोकेट अवधेश सिंह भदोरिया के जरिए जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर रील्स के जरिये अश्लीलता दिखाई जा रही है, जो केंद्र सरकार के आईटी एक्ट के तहत दंडनीय अपराध भी है। इसके बाद न तो इन्हें रोका जा रहा और ना ही इन मामलों में कोई एफआईआर दर्ज की जा रही है। ऐसे में सोशल मीडिया रील्स और दिखाई जा रही अश्लीलता के खिलाफ सेंसर लागू करने सहित इन्हें नियमों के दायरे में लाने की मांग की गई थी। याचिका में अमेरिका स्थित फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, गूगल सहित केंद्र सरकार को पार्टी बनाया गया था।
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