हेमंत शर्मा, इंदौर। बाणगंगा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग से दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट मामले में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। केस की जांच कर रही सब इंस्पेक्टर अभिरुचि पर पीड़िता और उसके परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दावा किया गया है कि आरोपी को बचाने की कोशिश की जा रही है और पीड़िता को बयान बदलने के लिए डराया धमकाया गया।
एफआईआर में धारा बढ़ाने की जानकारी नहीं दी
दरअसल, मामला 15 साल 7 महीने की एक नाबालिग लड़की से जुड़ा है, जिसे सुमित नामक युवक बहला-फुसलाकर खरगोन ले गया। घटना की जानकारी मिलते ही इंदौर पुलिस ने लड़की के पिता को साथ लेकर खरगोन जाकर आरोपी को पकड़ा, लेकिन यहां भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि आरोपी को पकड़ने के नाम पर पुलिस ने उनसे वाहन खर्च के तौर पर 2 हजार ले लिए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़िता के पिता को एफआईआर में धारा बढ़ाए जाने की जानकारी तक नहीं दी गई।
पीड़िता को जांच अधिकारी ने धमकाया
जब उनसे lalluram.com के संवाददाता ने संपर्क किया तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें आज तक कोई भी एफआईआर में पुलिस ने धारा बढ़ा दी है इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है। पीड़िता का आरोप है कि जब वह बयान देने पहुंची तो सब इंस्पेक्टर अभिरुचि ने उसे धमकाया “अगर तुम सुमित के खिलाफ बयान दोगी तो उसे जेल जाना पड़ेगा और तुम्हें हॉस्टल भेज दिया जाएगा।” इससे पीड़िता डर गई और पुलिस पर भरोसा करने में झिझकने लगी। साथ ही, पीड़िता और उसके पिता का यह भी कहना है कि सुमित के साथ मौजूद अन्य लड़कों को जानबूझकर पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया।
पैसे लेकर केस को प्रभावित करने की कोशिश
जबकि वे भी इस मामले में संलिप्त थे। इतना ही नहीं, पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया है कि सब इंस्पेक्टर अभिरुचि ने इस मामले में लेनदेन किया है और पैसे लेकर केस को प्रभावित करने की कोशिश की है। सूत्रों का दावा है कि अभिरुचि पर पहले भी कई शिकायतें हो चुकी हैं जो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक पहुंच चुकी हैं। अब जब यह मामला उजागर हो रहा है और विभाग के भीतर भी उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, तो अभिरुचि जोन बदलवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा?
जानकारी के मुताबिक, वह इंदौर जोन-2 में तबादला करवाने के लिए अधिकारियों और राजनीतिक रसूखदारों के चक्कर लगा रही हैं। यह मामला ना सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली बल्कि सिस्टम की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़ा करता है। जब एक रेप पीड़िता को ही डराया जाए, और आरोपी को बचाने की कोशिश हो, तो पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा? इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि दोषियों को सजा मिले और सिस्टम में बैठे भ्रष्टाचारियों पर भी शिकंजा कसा जा सके।

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