हर्षित तिवारी, खातेगांव। भारत चांद से लेकर मंगल पर पहुंच गया, दुनिया भर के कीर्तिमान स्थापित कर लिए, लेकिन सालों से मूलभूत सुविधा में से एक ‘बिजली की जरूरतें’ पूरी नहीं हो पाई। लेकिन मध्य प्रदेश में आज भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां के लोग 1947 के पहले की जिंदगी जीने को मजबूर है। हाल ये हैं कि यहां के ग्रामीण पड़ोसी गांव से बिजली लेकर पंखा और बल्ब तो ले आए। लेकिन वोल्टेज नहीं आने से गर्मी में परेशान होने को मजबूर हैं।

सालों से बिजली से वंचित ये गांव

आमजन के जीवन गुजारा करने के लिए कुछ चीजें बेहद खास होती हैं। जैसे पानी, रोटी, मकान इनसे एक महत्वपूर्ण उपयोगी है बिजली यानी ‘लाइट’। हम बात कर रहे हैं खातेगांव से 25 किलोमीटर दूर मवासी गांव की। जहां आजादी के बाद भी लोग 24 घंटे बिजली से वंचित हैं। बिजली की परेशानी को लेकर वहां के ग्रामीण ने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम से दूरभाष पर संपर्क किया। जिसमें बताया कि, हमारे गांव में 24 घंटे बिजली वाली ट्रांसफार्मर ग्राम से 1 किलोमीटर दूर है। ‘ हमारी सुनने बाला कोई नहीं है’। मामले की सूचना पर लल्लूराम डॉट कॉम की टीम उस गांव में पहुंची। जहां दिन की परेशानी से लेकर रात की समस्या तक टीम में गांव में रुककर उसकी हकीकत जानी।

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आजादी के बाद नहीं मिली ‘आजादी’

गांव के लोगों को देख ये कहना गलत नहीं होगा कि, भारत चांद से लेकर मंगल पर पहुंच गया, दुनिया भर के कीर्तिमान स्थापित कर लिए, लेकिन सालों से मूलभूत सुविधा में से एक ’24 घंटे वाली बिजली’ ट्रांसफार्मर की जरूरत पूरी नहीं हो सकी। चिलचिलाती गर्मी लोगों को सता रही है। ग्रामीणों का कहना है कि, पंवार समाज बाहुल्य मवासी गांव में 20-25 परिवार अपने भाई-बहन, माता-पिता, पति-पत्नी के साथ रहता है। लोग किसानी मजदूरी कर अपने जीवन का पालन करते हैं, लेकिन गांव में बिजली की समस्या का समाधान आज तक नहीं हो सका है। बिजली विभाग के अधिकारी आज तक मौजूदा मांग को पूरी नहीं कर कर सके। लोगों ने जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत कर-करके परेशान हो गए हैं, लेकिन फिर भी उन्हें बिजली नहीं मिल पा रही है।

दूसरे गांव से ला रहे बिजली

ग्रामीणों ने बताया कि, आजादी के बाद से गांव में 24 घंटे वाला बिजली का ट्रांसफार्मर नहीं लगा। ऐसे में हम लोगों ने अपने निजी खर्च पर ग्राम मवासा से जिसकी दूरी 1 किलोमीटर है वहां से केबल डालकर बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं। दूरी अधिक होने के कारण वोल्टेज नहीं मिल पा रहा है। बार बार केबल टूट जाती है। रास्ते में खेत में काम कर ग्रामीण किसानों को करंट का डर भी बना रहता है। जिसके कारण लाइट, टीवी, पंखा जैसे उपयोगी इलेक्ट्रॉनिक यंत्र का उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं। लोगों ने बताया ट्रांसफार्मर की समस्या को लेकर अधिकारियो को भी कई बार अवगत कराया, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई ना ही मवासी गांव में ट्रांसफार्मर लगा। ऐसी स्थिति में लोग कच्चे आंगन में बच्चों के साथ मच्छर के बीच नींद पूरी करने को मजबूर हैं।

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ऊर्जा मंत्री ने दिए निर्देश

मामले को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि, उन दोनों गांव में अभी तक बिजली क्यों नहीं पहुंची है, इसे लेकर विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। वैसे सभी गांव में अब बिजली पहुंच चुकी है। लेकिन यदि यह पुराने गांव हैं और यह छूट गए हैं तो वहां अब बिजली पहुंचाई जाएगी। इसे लेकर निर्देश दे दिए है।

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