हेमंत शर्मा, इदौंर। जिले के एक ऑक्सीजन प्लांट में सिलेंडर चोरी के आरोप में एक युवक की निर्दयिता के साथ पिटाई करने का मामला सामने आया है. कुमेड़ी में प्लांट से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराने के आरोप में दो युवकों के साथ पांच कर्मचारियों के साथ मालिक, उसकी बेटी, मैनेजर और चाय वाले ने रातभर निर्दयिता पूर्वक पिटाई की है. सजा के तौर पर बर्फ पर खड़ा किया, मुंह में मिर्ची डाल-डालकर पीटते रहे. सुबह परिजन पहुंचे तो आरोपियों ने उन्हें छोड़ा. पीडि़त ने दो सिपाहियों पर भी मारपीट का आरोप लगाया है.
इस मामले में बाणंगगा पुलिस ने 20 साल के राज वर्मा की शिकायत पर संचालक भंवरलाल शेखावत, उसकी बेटी कोमल, मैनेजर धीरज और चाय वाले पप्पू के खिलाफ मारपीट की साधारण धाराओं में केस दर्ज किया है.

पाटनीपुरा में रहने वाले राज और नेहरू नगर गली नंबर 1 में रहने वाले चिराग वर्मा ने बताया कि हम दोनों भंवरलाल शेखावत के कुमेड़ी स्थित बी.आर.जे. कॉरपोरेशन प्लांट में काम करते हैं. 12 मई की रात 10 बजे काम पर पहुंचे. जैसे ही अंदर पहुंचे तो हमें एक हाल में ले जाया गया. यहां पर बाणगंगा थाने के दो सिपाही भी मौजूद थे. इनके अलावा प्लांट का मालिक, उसकी बेटी कोमल, मैनेजर धीरज, चाय वाला पप्पू सहित 15-20 लोग मौजूद थे. अंदर ले जाते ही हमें जानवरों की तरह पीटा गया. फिर आधा घंटे बाद पुलिस वाले चले गए.

मुंह में मिर्ची डाली, उसके ऊपर से बरफ ठूंस दिया

इसके बाद हमें ये चार नामजद लोग अंदर वाले कमरे में ले गए. वहां पर फिर से हमें पीटना शुरू किया. हम दोनों गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. मालिक की बेटी तो प्लास्टिक के पाइप से लगातार पीटती रही. फिर हमें बर्फ पर खड़ा कर दिया, बाल नोचे, राज की पीठ पर खूब मारा, बर्फ पर खड़ा करने के बाद फिर उन्होंने हमारे मुंह में मिर्ची डाली, उसके ऊपर से बरफ ठूंस दिया.

घर वाले प्लांट पहुंचे तो हमें छोड़ा गया
रात 2 बजे हमारे साथ काम करने वाले रवि नंदवाल निवासी पाटनीपुरा, अनिकेत और दिव्यांश दोनों निवासी गांधी नगर पहुंचे. फिर इन तीनों के साथ भी वैसी ही पिटाई की जो हमारे साथ की. आखिर सुबह जब हमारे घर वाले प्लांट पहुंचे तो हमें छोड़ा गया. हम लोग सीधे थाने पहुंचे. वहां टीआई ने प्लांट वाले को धमकाया औऱ फिर मामुली धाराओं में केस दर्ज कर के हमें रवाना कर दिया.  पुलिस ने अभी तक उनको नहीं पकड़ा, जिन्होंने हमें पीटा है।

एक लाख वापस लाकर दिए
चिराग ने कबूला कि प्लांट पर कोरोना के कारण जब से लोगों को ऑक्सीजन रिफिलिंग की जाने लगी, तभी से वहां चोरी शुरू हो गई. हर कर्मचारी चालान कटाने के बाद चोरी कर रहा था. जब किसी का चालान कटता है तो उस ग्राहक से खाली सिलेंडर वापस नहीं लेते थे और बदले में उसे भरा हुआ सिलेंडर दे देते थे. इसके बदले में पैसा कमाया जाता था. आरोप है कि मैनेजर धीरज ने भी बड़ा हाथ मारा है. चिराग ने कबूला कि उसने दस सिलेंडर परिचितों को दे दिए थे. जबकि राज ने 2 सिलेंडर दिए थे. चिराग ने चोरी कबूलकर एक लाख रुपए मालिक को जमा भी करवा दिए थे, वहीं राज ने दोनों सिलेंडर दे दिए थे. इसके बाद भी पीटा गया.