अमित पवार, बैतूल। उधार लिए रुपए के लिए क्या कोई जिगर के टुकड़े को गिरवी रख सकता है वो भी एक दो दिन नहीं पूरे 6 साल तक। जी हां मामला बैतूल जिले के डुड गांव का है जहां गंजू अपनी पत्नी सरिता और सात वर्षीय बेटे के साथ साल 2019 में मजदूरी के लिए हरदा जिले के झिरीखेड़ा गांव के ठेकेदार रूपेश शर्मा के पास गए थे। कुछ दिनों बाद गंजू को अपने छोटे भाई की शादी के लिए रुपयों की आवश्यकता थी। उसने रूपेश से 50 हजार रुपए उधार लिए जिसके एवज में दोनों पति पत्नी ने दो वर्ष तक ठेकेदार के पास काम किया।

ठेकेदार के डर से दूर से ही बेटे को देखकर वापस लौट

वर्ष 2021 में जब गंजू ने अपने गांव वापस जाने की बात कही तो रूपेश ने उनपर 60 हजार रुपए बकाया निकाल दिया और कहा कि रुपए चुका दो ओर चले जाओ। गंजू ने रुपए चुकाने में असमर्थता जताई तो ठेकेदार रूपेश ने बेरहमी से मारपीट की। पति पत्नी ने गांव जाकर रुपए लाकर देने की बात कही तो ठेकेदार रूपेश और उसके भाई मुकेश ने 60 हजार रुपए ना देने के बदले में गंजू के बेटे को गिरवी रख लिया और कहा कि जब सारे रुपए लौटा देंगे तब अपने बेटे को वापस ले जाना। बीते 6 वर्ष से गंजू रुपए जमा करने की भरसक कोशिश करता रहा लेकिन रुपए का बंदोबस्त नहीं हो पाए। इस बीच दो तीन बार वो अपने बेटे को मिलने के लिए झिरीखेड़ा गया लेकिन ठेकेदार की दबंगई के डर से दूर से ही अपने बेटे को देखकर वापस आ गया।

कलेक्टर के निर्देश पर बच्चे का रेस्क्यू

कुछ दिन पहले जन साहस संस्था के सदस्यों को गंजू के बेटे को रुपयों के बदले गिरवी रखने की जानकारी हुई। समिति के सदस्यों ने गंजू और उसकी पत्नी सरिता से संपर्क करके बच्चे को छुड़वाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया। कलेक्टर ने लेबर अधिकारी को निर्देश दिए कि वे टीम बनाकर जन साहस के साथ हरदा जाकर बच्चे का रेस्क्यू करें। कलेक्टर के आदेश पर 12 सितंबर 2025 को संस्था के सदस्य श्रम विभाग के अधिकारी के साथ हरदा पहुंचे। बच्चे के रेस्क्यू के लिए एसडीएम, तहसीलदार, आरआई, पटवारी, श्रम विभाग, महिला बाल विकास विभाग और सीडब्ल्यूसी के सदस्य ठेकेदार रूपेश के खेत पर पहुंचे और बच्चे को रेस्क्यू कर हरदा लाया गया।

बच्चे को छिंदवाड़ा के बाल सुधार गृह भेजा

हरदा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसके बाद बच्चे को सीडब्ल्यूसी हरदा के द्वारा बैतूल सीडब्ल्यूसी सामने पेश किया गया। बाल कल्याण समिति (CWC)  बैतूल ने दस्तावेज ना होने (आधार, राशन कार्ड) की वजह से बच्चे को तत्काल उसके परिजनों को सौंपा नहीं जा सका। महिला एवं बाल विकास विभाग ने सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट (SIR) तैयार की और बच्चे को छिंदवाड़ा के बाल सुधार गृह भेज दिया, जहां बच्चे की समुचित देखभाल की जा रही है। बच्चे को सौंपने से पहले बाल कल्याण समिति पहले सभी तरह की जांच कर बच्चे को सुरक्षित महसूस करने के बाद ही बच्चे को परिजन को सौंपेगी। फिलहाल गंजू और सरिता ने अपने बच्चे के सभी जरूरी दस्तावेज बना लिए है। एक दो दिन में वे समिति के सदस्यों के साथ जाकर अपने बेटे को अपने घर ले जा सकेंगे।

अभिषेक जैन बालकल्याण CWC समिति अध्यक्ष

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पल्लवी डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर जन साहस संस्था

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