राकेश चतुर्वेदी, सिहोर/भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर नामांकन की प्रक्रिया जारी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ओबीसी आरक्षण को आधार बनाकर चुनाव पर शुक्रवार को रोक लगा दी। वहीं सिहोर जिले के छापरी कला ग्राम पंचायत में पंचायत चुनाव से पहले ही सरपंच चुन लिया गया है। यहां सरपंच बनने के लिए बोली लगी है। जी हां… आपने बिलकुल सही पढ़ा। छापरी कला ग्राम पंचायत में 4 लाख 20 हजार की सबसे ज्यादा बोली लगाकर शख्स ने सरपंच का पद खरीद लिया। इससे पहले अशोक नगर जिले में इसी तरह का मामला सामने आया था।
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दरअसल सीहोर जिले के ग्राम पंचायत छापरी कला में सरपंच पद के लिए 4 उम्मीदवार मैदान में थे। सरपंच के ने ग्रामीण जनता ने मंदिर में बिठाकर अनोखे तरीके से ग्राम पंचायत में एक सरपंच को निर्विरोध चुना गया। इसकी पहल किसान व समाजसेवी एमएस मेवाड़ा ने सभी ग्रामीणों को समझाने के बाद यह निर्णय लिया कि रात 8 बजे राम मंदिर हनुमान मंदिर में पूजा होने के बाद पहुंचे। इसके बाद उन्होंने चारों सरपंच उम्मीदवारों से पर्ची में नाम लिखवाया। इसके बाद 7 वर्ष की बच्ची से पर्ची निकलवाई। जिसमें चारों में से चारों ही उम्मीदवार एक ही समाज मेवाड़ा समाज के उम्मीदवार थे। जिनमें से चंद्र सिंह मेवाड़ा का नाम पर्ची में आया।इसके बाद चंद्र सिंह मेवाडा को निर्विरोध सरपंच के उम्मीदवार चुना गया।
साथ ही चुना गया सरपंच 4 लाख 20 हजार रुपए मंदिर में दान भी करेंगे। 2 दिन के अंदर ऐसी अनोखी पहल सरपंची चुनाव में करने से ग्रामीण जनों में काफी खुशी है ग्राम छापरी कला की जनता ग्रामीण महिला बच्चे आदमी बुजुर्ग सब खुश हैं। इससे हमारे गांव का फिजूल खर्चा बचेगा सरपंचों का झोलमाल विवाद बुराइयां भलाई है। गांव की एकता की एक मिसाल कायम की गई है।
तीन दिन में दूसरा मामला
इससे पहले इसी तरह का मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले से आया था। यहां सोभाग सिंह ने 44 लाख रुपए की बोली लगाकर गांव की सरपंच पद खरीदा था। सरपंच पद के लिए बोली 21 लाख रुपये से शुरू हुई थी, जो 44 लाख रुपए पर जाकर खत्म हुई थी।
दतिया जिले के एक दर्जन गांवों में लगी थी बोली
भटोली गांव कोई पहला ऐसा गांव नहीं है, जहां सरपंच पद के लिए बोली लगी हो। इससे पहले दतिया जिले के एक दर्जन गांवों में इसी तरह सरपंच पद के लिए बोली लगाकर सरपंच चुनाव हुआ था। ग्रामीणों का कहना था कि वह अनावश्यक खर्च को रोक रहे है। सर्वसम्मति वाली प्राचीन परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। उनका चुनाव आयोग से कोई सरोकार नहीं है।
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