नीलम राज, पन्ना/ इंद्रपाल सिंह नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश के पन्ना (Panna) जिले में भगवान जगन्नाथ स्वामी (Lord Jagannath) बीमार पड़ गए है। बीमार पड़ने का कारण लू लगना है। भगवान की तबीयत खराब होने की वजह से मंदिर के दरवाजे 15 दिन के लिए बंद कर दिए गए हैं। इधर नर्मदापुरम (Narmadapuram) जिले के प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ को महा स्नान कराया गया। मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर महास्नान के बाद सर्दी लगने के कारण भगवान अस्वस्थ होकर शयन कक्ष में चले गए। इस दौरान भगवान का आयुर्वेदिक औषधि देकर उनका उपचार किया जाएगा।
पन्ना में लू लगने से भगवान जगन्नाथ हुए बीमार
पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी का प्राचीन मंदिर है। जहां पर भगवान पुरी की तरह अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं। मंदिर में चली आ रही पुरातन परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी बीमार पड़ गए है। भगवान के बीमार पड़ने का कारण लू (Heat Stroke) लगना है। भागवान को 1000 छिद्र बाले घड़े से स्नान करा कर मंदिर 15 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। 15 दिन बाद ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन होगा।
150 साल से चली आ रही परंपरा
यह परंपरा 150 साल से चली आ रही है। मंदिर के पुजारी राकेश गोस्वामी ने बताया कि रथ यात्रा से पहले भगवान लू लगने से बीमार पड़ जाते हैं। भीषण गर्मी के इस मौसम में भगवान को लू लगने का कारण धूप में स्नान करना है। इसके कारण वे बीमार पड़ जाते हैं।
नर्मदापुरम में भगवान जगन्नाथ को लगी सर्दी
नर्मदापुरम के अति प्राचीन जगदीश मंदिर में जगन्नाथ पुरी की भांति ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर में भगवान जगन्नाथ को महा स्नान कराया गया। मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर महास्नान के बाद सर्दी लगने के कारण भगवान अस्वस्थ होकर शयन कक्ष में चले गए। अब आषाढ़ मास की द्वितीया तक भगवान शयन कक्ष में रहेंगे और मंदिर में उनके मुकुट की पूजा होगी। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक औषधि देकर उनका उपचार वैद्य द्वारा किया जाएगा। स्वस्थ होने के बाद भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने रथ यात्रा पर निकलेंगे।
15 दिन तक होगा आयुर्वेदिक उपचार
आचार्यों के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा से 15 दिन का समय ऋतु या मौसम का संधिकाल होता है। जिसमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं और भगवान बीमार होकर भक्तों को इस मौसम में स्वस्थ्य संबंधी परहेज बरतने का संदेश देने के लिए बीमार होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान अपने भक्त माधवदास के लिए भी बीमार होते हैं। यह 15 दिन वह अपने भक्त के कष्ट अपने ऊपर लेते हैं। इसीलिए पूर्णिमा पर उन्हें स्नान कराकर 15 दिनों तक आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है।
स्वस्थ होकर रथ यात्रा पर निकलेंगे भगवान
इसके पूर्व पूर्णिमा पर आज भगवान जगन्नाथ जी का महाभिषेक महास्नान कराया गया। सेठानीघाट स्थित करीब 500 वर्ष प्राचीन श्री जगदीश मंदिर में जगन्नाथपुरी की तरह समस्त परंपराओं को पूरा किया जाता है। इसी क्रम में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रह को गर्भगृह से निकालकर सहस्त्र जलधारा, दूध, दही, घी, शहद सहित 21 विधि से महास्नान कराया गया। मंदिर में भगवान को करीब 100 लीटर पंचामृत से स्नान कराने के बाद सहस्त्रधारा स्नान कराया गया। नर्मदापुरम स्थित जगदीश मंदिर में प्रति वर्ष की तरह महास्नान का आयोजन विधिपूर्वक कराया गया। जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। 15 दिनों के बाद स्वस्थ होकर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकलेंगे।
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