अनिल मालवीय, इछावर(सीहोर)। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के पिपलियामीरा (pipliamira) के ग्रामीणों की आपत्ति और कड़े विरोध के बाद एनजीटी (NGT) ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पनीर फैक्ट्री से छोड़े जा रहे केमिकल वेस्टेज (chemical waste) को लेकर सवा करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। जिससे बचने के लिए करीब पांच किमी दूर बनाए गए ट्रीटमेंट प्लांट में केमिकल वेस्टेज को फिल्टर किया जाना था। लेकिन अब पूरा वेस्टेज शहर को पेयजल सप्लाई करने वाले भगवानपुरा तालाब में छोड़ा जा रहा है। हालत यह है कि प्लांट के सामने ही वेस्टेज मटेरियल से दुर्गंध आ रही है, जिसमें डेंगू, मलेरिया का लार्वा सहित मच्छर पनप रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार आंख बंदकर बैठे हुए है, वहीं एनजीटी भी मामले में लीपापोती करती नजर आ रही है।
कई सालों से गांव पिपलियामीरा के पास संचालित जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री लगातार विवादों से घिरी हुई है। यहां केमिकल वेस्टेज छोड़े जाने से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। साथ ही फसलें भी चौपट हो रही थी, जिसकी एक साल पहले ग्रामीणों ने एनजीटी में शिकायत की थी। इसकी जांच कर एक करोड़ 24 लाख का जुर्माना लगाया गया था। साथ ही केमिकल वेस्टेज को ट्रीटमेंट प्लांट से फिल्टर कर छोड़ने के निर्देश दिए थे। बिना अनुमति के शासकीय जमीन में से पाइप लाइन डालकर करीब पांच किमी दूर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया। लेकिन वेस्टेज बिना ट्रीटमेंट के ही प्लांट के सामने फैल रहा है, जो आसपास गंदगी फैलाने के साथ ही शहर को पेयजल सप्लाई करने वाले भगवानपुरा तालाब में मिल रहा है।
36 लाख का पाम आयल जब्त
शनिवार की रात एसडीएम को मिली सूचना पर इंदौर-भोपाल बायपास पर खड़े पाम आयल के टेंकर की जांच कराई गई थी, तो पता चला कि वह जयश्री गायत्री फूड प्रालि पनीर फैक्ट्री में जा रहा है। जिसके संदिग्ध लगने पर खाद्य और औषधि प्रशाधन विभाग ने सेंपल लेकर जांच के लिए भेजे थे। टेंकर को कंपनी के सीईओ की अभिरक्षा में खड़ा कर दिया था। पकड़े गए पाम आयल की कीमत 36 लाख रुपये बताई गई थी, जो पनीर फैक्ट्री में कुछ उत्पाद बनाए जाने की बात कही थी। भेजे गए पाम आयल के सेंपल की रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
एनजीटी न्यायालय के आदेश का उल्लंघन
पनीर फैक्ट्री को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शासन-प्रशासन की जांच घेरे में है। यही कारण है कि जब शासकीय अधिकारी जांच करने आए तो इसकी सूचना न तो किसी ग्रामीणों को हुई और न ही क्षेत्रवासियों को दी गई थी। किसानों का आरोप था कि जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन सीहोर फैक्ट्री की जांच के लिए आया तो उन्हें को किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई। इसके साथ की किसी का पंचनामा नहीं बनाया गया। मामले में लीपापोती कर फैक्ट्री पर एनजीटी ने एक करोड़ 24 लाख रुपये में से 50 फीसद जुर्माना जमा करने के आदेश जारी किए थे। बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसका कारण है कि फैक्ट्री संचालक अपनी मनमानी कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है।
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