इमरान खान,खंडवा। मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक के बाद अब खंडवा के ओंकारेश्वर स्थित ओंकार पर्वत पर अध्यात्म लोक ‘एकात्मधाम’ को विकसित किया जा रहा है. यहां आचार संहिता से पहले ओंकारा गूंजेगा. जब पीएम मोदी सितंबर में ओंकारेश्वर आएंगे, तब आदि शंकराचार्य की बाल्य अवस्था की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे. भव्य प्रतिमा के लिए 54 फीट का आधार स्तंभ बन रहा है. ओंकारेश्वर में 2000 करोड़ से एकात्मधाम बन रहा है. 28 एकड़ में इसकी स्थापनी होगी.

चार स्लैब में बनने वाले आधार स्तंभ का 50% काम हो चुका है. लगभग 2 हजार करोड़ रुपए के बजट से बनने वाले के बाकी बचे हिस्से का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होगा. मध्यप्रदेश सरकार ने ओंकारेश्वर में बन रहे एकात्मधाम प्रोजेक्ट को‎ पहली बार अधिकृत तौर पर देश के सामने रखा है. देश के‎ जाने-माने संत, विद्वान और ओपिनियन मेकर्स की मौजूदगी में‎ शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस प्रोजेक्ट के‎ बारे में विस्तार से बताया.

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आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भारत की तीन बार परिक्रमा की. उन्होंने दुनिया को अद्वैत वेदांत का सिद्धांत दिया. इस ‘एकात्मधाम’ में आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन दर्शन को बताने वाला संग्रहालय, अद्वैत वेदांत सिद्धांत के अध्ययन के लिए संस्थान भी होगा. ओंकार पर्वत पर ‘एकात्मधाम’ यानी एकात्मता की प्रतिमा स्थापित होगी. इसे ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ नाम दिया गया है. यहां प्रशिक्षण एवं सूचना केंद्र, अभय घाट, संन्यास और गुफा मंदिर सहित 35 हजार पेड़ों का वन विहार होगा. अन्नपूर्णा मंदिर, पंचायत मंदिर के साथ ओम स्तंभ, कला, प्रदर्शनी जैसी अद्भुत रचनाओं का विस्तार किया जाएगा.

स्टैच्यू ऑफ वननेस’ को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और MPSTDC (मध्यप्रदेश स्टेट टूरिस्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के मार्गदर्शन में आकार दिया जा रहा है. एकात्मधाम में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ एक संग्रहालय परिसर भी होगा. यह पारंपरिक मंदिर स्थापत्य शैली के अनुरूप होगा. संग्रहालय में 3D होलोग्राम प्रोजेक्शन गैलरी, कलाकृतियां, स्क्रीन थिएटर और ‘अद्वैत नर्मदा विहार’ नाम से वर्चुअल नाव की सवारी होगी. इसमें लोग आचार्य शंकर की महान शिक्षाओं का ऑडियो-विजुअल यात्रा के जरिए आनंद ले सकेंगे. अद्वैत वेदांत से संबद्ध आचार्य शंकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट वेदांत के अद्भुत सिद्धांत का विस्तृत अध्ययन, बेहतर तरीके से उन्हें समझना और साझा करने के लिए एक केंद्र के तौर पर काम करेगा.

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ओंकारेश्वर कहा कि 2017 में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान यह विचार आया था.. यहीं ओंकारेश्वर में इस विचार ने जन्म लिया, जहां आदि गुरु शंकराचार्य ने 8 वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण की. यहां से ज्ञान प्राप्त कर भारत भ्रमण पर निकले. शंकराचार्य को लेकर दिमाग में आई कल्पना अब साकार रूप ले रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन की रक्षा और सांस्कृतिक रूप से भारत को एक करने वाले कोई महापुरुष हैं, तो वह शंकराचार्य हैं.

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