कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। क्या मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल है ? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि नेताजी सड़कों पर हैं. इन दिनों ग्वालियर में उत्तर प्रदेश के चुनाव का असर दिख रहा है. यूपी में बदले चुनाव प्रचार के तौर तरीकों का मध्यप्रदेश में अभी से ही असर दिखने लगा है. भले ही मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल से अधिक का वक्त बाकी है. लेकिन फिर भी कोरोना की मौजूदगी और उससे बदले चुनाव प्रचार के तौर तरीकों को लेकर अभी से ही मिशन-2023 की तैयारी शुरू होती नजर आ रही है.

भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में मिशन-2023 के लिए संगठन ऐप लॉन्च किया है. अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए प्रशिक्षण वर्ग आयोजित कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जन जागरण अभियान के तहत जनता से जुड़े 10 गंभीर सवालों के जवाब पाने सर्वे में जुटी है. कांग्रेस पार्टी सीधे जनता के बीच पहुंचने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि कांग्रेस के नेता डोर टू डोर जनसंपर्क भी कर रहे हैं.

तस्वीरों में दिख रही यह दोनों तस्वीर मिशन-2023 के लिए अभी से ही एड़ी चोटी का जोर लगाती हुई दिख रही है. यह सब इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में चुनावी प्रचार प्रसार के तौर तरीके ही बदल गए हैं. इलेक्शन कमीशन द्वारा कोरोना के चलते लगाई गई रोको के बाद डिजीटली और डोर टू डोर जनसंपर्क प्रमुख प्रचार प्रसार का जरिया बन गया है. ऐसे में मध्यप्रदेश में भी प्रमुख राजनीतिक दलों में शामिल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अभी से ही डिजिटल और डोर टू डोर जनसंपर्क में जुट गई है.

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राजनीतिक विश्लेषक देव श्रीमाली भी मानते हैं कि कोरोना को लेकर सरकारे यह नहीं जानती की अभी इनकी कितनी और लहरे आ सकती है. यही वजह है कि इस बार मध्य प्रदेश में समय से पहले दिखाई दे रही चुनावी तैयारियों की यह तस्वीर कोरोना से सीधे तौर पर प्रभावित है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे के लिए पहचानी जाती है. लिहाजा वह पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और विशेष रूप से उन्हें डिजिटली रूप से मजबूत करने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हमेशा सीधे जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश करती है. ऐसे में वह सर्वे के माध्यम से जनसंपर्क कर रही है.

कोरोना की तीसरी लहर के बीच बदले इन तौर-तरीकों पर कांग्रेस कमेटी के महासचिव सुनील शर्मा का कहना है कि वह जनता की समस्याओं को जानने उनके बीच पहुंच रही है. भविष्य में जिन 10 सवालों के जरिए सर्वे का आंकड़ा इकट्ठा किया जा रहा है, उसका उपयोग मिशन-2023 के चुनाव में चुनावी मुद्दा बनाने के साथ उनका हल कैसे निकाला जाएगा. इस पर पार्टी लाइन तैयार करेगी. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के इस दौर टू डोर जनसंपर्क और सर्वे पर तीखा हमला बोला है.

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ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का कहना है कि जिस वक्त कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तब उन्होंने जनता की समस्याओं को जानने सर्वे नहीं किया. लेकिन जब सत्ता से बेदखल हुई, तो अब जनता के बीच सर्वे का दिखावा कर रही है. कांग्रेस कितने भी हथकंडे अपनाए, लेकिन वर्ष 2023 में उसकी वापसी संभव नहीं है.

बहरहाल कांग्रेस के सर्वे और भाजपा के जुबानी हमले के बीच अभी से ही मिशन-2023 के लिए लिखी जा रही इमारत कितनी कारगर सिद्ध होगी, यह तो आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा. लेकिन दल बदल की राजनीति और कोरोना महामारी के बीच दोनों ही प्रमुख दल जनता तक पहुंचने हर संभव प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं.

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