अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बीएड और डीएड के लिए 9 कॉलेजों को मान्यता दी गई है। इनमें से अधिकांश कॉलेज कागजों में ही चल रहे हैं। श्यामा देवी डीएड काॅलेज महज कागजों में ही संचालित हो रहा है। इस काॅलेज की गेट पर ताला लटका हुआ है। वहीं बिल्डिंग पर कॉलेज का नाम तक नहीं लिखा हुआ है।
इस तरह की तस्वीर जिले के और भी डीएड और बीएड कालेज की है। जब कालेज बंद रहते हैं तो जिम्मेदार अधिकारी कैसे इन कालेजों में निरीक्षण करते हैं। यह बड़ा सवाल है कि कैसे इन कॉजेलों को मान्यता मिल जाती है। इन कॉलेजों को सरकार की सारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। वहीं छात्र-छात्रों को स्कॉलरशिप का भी लाभ मिल रहा है।
जब नोडल अधिकारी ने काॅलेज बंद होने की शिकायत पर फोन किया तो किसी महिला सफाई कर्मचारी ने बात की। इसके बाद निखिल दुबे ने बात की और बताया कि वह कॉलेज में है। नोडल अधिकारी ने वीडियो कॉल कर काॅलेज दिखाने की बात कही, लेकिन वह कॉलेज न दिखा पाया। इतना ही नहीं जब नोडल अधिकारी ने टीचिंग प्लान और किन स्कूलों में प्रशिक्षण लेने की जानकारी मांगी तो जिम्मेदार ने चुप्पी साध ली। अमूमन जिले के कई काॅलेजों के यही हाल है।
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