दिनेश शर्मा, सागर। प्रकृति के सफाई कर्मी कहे जाने वाले गिद्धों की गणना इस साल दो बार की जाएगी. पहले फरवरी में गिद्धों को गिना जाएगा. फिर अप्रैल माह में भी इनकी गिनती होगी. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ठंड के मौसम में उत्तर भारत की तरफ से आने वाली गिद्धों को अलग से गिना जा सके.
ये कैसा मौन प्रदर्शन ? कांग्रेस मौन सत्याग्रह में बातचीत करते दिखे कांग्रेसी, देखें Video
प्रदेश के तीन जिले सागर, दमोह और नरसिंहपुर की सीमाओं में फैले रानी दुर्गावती नौरादेही टाइगर रिजर्व में 125 वन कर्मी दूरबीन और कैमरों से लैस होकर तीन दिन तक एक ही जगह पर जाकर उनकी गणना करेंगे. सूर्योदय के समय गिद्धों की गणना की जाती है. यहां पर साल 2021 में आखरी बार गिद्धों की गणना हुई थी तब करीब 300 गिद्ध पाए गए थे. डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक इस साल के सर्वे में यहां पर 10 -15 फीसदी गिद्धों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है.
प्रदेश में पाए जाने वाली सभी 7 प्रजातियां टाइगर रिजर्व में
देशभर में भले ही गिद्धों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हो. लेकिन सागर से अच्छी खबर यह है कि देश में पाए जाने वाली गिद्धों की नौ प्रजातियों में से सात मध्यप्रदेश में है. और गिद्धों की यह सभी सात प्रजातियां ( चार इंडियन वल्चर, चमर गिद्ध, राज गिद्ध, सफेद गिद्ध यहां स्थाई रूप से आवास करती हैं शेष तीन हिमालयन, यूरेशियन और काल गिद्ध प्रवासी के रूप में शीतकाल में यहां आ जाते) प्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में मौजूद है. इतना ही नहीं अधिकारियों का कहना है कि इस समय जो इंडियन वल्चर सबसे ज्यादा खतरे में है, टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा संख्या भी उसी प्रजाति की है.
MP Crime: ब्रांडेड शराब की 153 बोतल जब्त, वाहन छोड़कर फरार हुआ तस्कर
26 से अधिक घोसला पाए गए
डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि यह प्रदेशव्यापी गणना है. साल 2016 से मध्य प्रदेश वन विभाग के द्वारा इसे शुरू किया गया था. नौरादेही टाइगर रिजर्व गिद्धों की संख्या के मामले में प्रदेश में तीसरे नंबर पर है. लेकिन इस बार दूसरे नंबर पर आने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि यहां पर पहाड़ी के अलावा 26 जगह गिद्धों के घोसले चिन्हित किए गए हैं. और भी कुछ स्पॉट हैं जहां पर सूर्योदय के समय जाकर गिद्धों की गणना होगी. रिजर्व के कौंच, सिंहपुर, झापन, मुहली, तिदनी आदि इलाकों मेें बड़ी संख्या में गिद्ध हैं.
इसलिए बढ़ रही गिद्धों की संख्या
रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जिसका एक असर गिद्धों की बढ़ती बसाहट और संख्या के रूप में सामने आया है. डीएफओ डॉ. अंसारी के अनुसार बाघ द्वारा किसी भी जानवर का शिकार करने के बाद उसके अवशेष से भेड़िया, लकड़बग्घा, तेंदुओं के अलावा गिद्धों को भी भोजन मिलता है. चूंकि रिजर्व में बाघ बढ़े हैं तो यहां शिकार भी बढ़े होंगे, इसलिए गिद्धों को यहां पर्याप्त मात्रा में मृत जानवर के अवशेष मिल रहे हैं. जिसके बाद उन्होंने यहां स्थाई बसेरा शुरु कर दिया है.
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
Read More:- https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक