अजयारविन्द नामदेव,शहडोल/मोसिम ताडवी,बुरहानपुर। मध्य प्रदेश सरकार भले ही आदिवासी इलाकों में सुविधाओं और योजनाओं का अंबार लगाने का दावा करती हो, लेकिन अब भी हालात बहुत ही बुरे है. शहडोल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नहीं होने पर मजबूरन गर्भवती महिला को खाट पर रखकर 3 किमी का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ा. इस दौरान रास्ते में ही महिला की डिलीवरी हो गई. सिस्टम को तमाचा मरती यह तस्वीर ग्राम पंचायत धनौरा के तुर्री दलान गांव की है. वहीं बुरहानपुर जिले के ग्राम जम्बुपानी में रास्ता बंद होने पर ग्रामीणों ने मरीज को खाट पर डालकर नदी पार किया. फिर अस्पताल लेकर पहुंचे.
खाट में रखकर पहाड़ी में 3 किमी का सफर
शहडोल के सोहागपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत धनौरा में तुर्री-दलान गांव में 25 वर्षीय गनपति बैगा पति मोहन बैगा को सुबह-सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तब ग्रामीणों ने खटिया में डंडे को रस्सी से बंधाकर कंधे के सहारे 3 किलोमीटर की करीब 300 फिट की पहाड़ी उतरकर मुख्य सड़क तक पहुंचे. इसके बाद आशा कार्यकर्ता की मदद से एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ार ले जा रहे थे, तभी रास्ते में बेम्हौरी के पास खराब सड़क के कारण प्रसव हो गया.
अव्यवस्थाओं के बाद भी जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित
जिसके बाद गनपति बैगा को समीपस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेम्हौरी में ही रोका गया, जहां नर्सों ने जांच कर स्थिति सामान्य बताई. तब गनपति बैगा को बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. गनीमत है कि ऐसी अव्यवस्थाओं के बाद भी जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है. तुर्री-दलान के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 1296 मतदाता हैं. कुल जनसंख्या करीब ढ़ाई हजार है. गांव में सिर्फ बैगा और गोंड आदिवासी निवास करते हैं. फिर भी विकास नहीं हो सका है.
खाट पर रखकर मरीज को कराया नदी पार
इधर बुरहानपुर जिले के ग्राम जम्बुपानी में रास्ता बंद होने से मरीज को खटिया पर डालकर नदी पार करना पड़ा. सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी पर बसे गांव जम्बुपानी जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है. बीते दिनों तेज बारिश की वजह से पहाड़ी क्षेत्र का सड़क भी उखड़ गई है. सिर्फ दो पहिया वाहन आ सकता है, लेकिन बीच नदी में पानी होने से इस पार से उस पार लोग नहीं आ जा सकते. बारिश के बाद रास्ते पर बना पुल भी टूट कर बह गया है.
इलाज करवाने ले गए अस्पताल
गांव के राहुल महाजन ने बताया कि हमारे गांव का आम सिंह का पैर फैक्चर होने पर डॉक्टर ने उसे 5 दिन बाद बुरहानपुर बुलाया था. सड़क का रास्ता बंद होने के कारण इलाज के लिए इसे खटिया पर डालकर गांव वालों की मदद से नदी पार करवाया गया. ग्रामीणों ने बाइक को भी इसी तरह अपने कंधे पर उठाकर नदी पार किया, तब कहीं जाकर अस्पताल या जरूरी काम के लिए जा पाते हैं.
बिजली भी 6 दिन से बंद
ग्रामीण प्रमोद महाजन ने कहा कि प्रशासन को जल्दी से जल्दी इस ओर ध्यान देना चाहिए. ताकि रास्ता पूरी तरह से चालू हो सके. इस गांव की बिजली भी 5 से 6 दिन से बंद पड़ी है. आटा चक्कियां भी बंद पड़ी है. जिससे जीवन यापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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