संतोष राजपूत,शाजापुर। मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुलाजपुर विकासखंड के प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रही है. यहां श्री जटाशंकर महादेव मंदिर में आज महाशिवरात्रि पर सुबह 4 बजे से ही दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. आज दो दिवसीय मेला का समापन भी होना है. साथ ही पंच कुंडीय, पंच दिवसीय महायज्ञ की पूर्णाहुति भी होगी. इस स्थान की खासियत है कि यहां मंदिर और दरगाह की एक ही दीवार है. आज महाशिवरात्रि के अवसर पर हम आपको इसके पीछे की कहानी से रूबरू कराने वाले है. क्यों इस पुराने ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक स्थल श्री जटाशंकर को जटाशंकर क्यों कहा जाता है.
400 वर्ष प्राचीन
जटाशंकर मंदिर की स्थापना औरंगजेब के शासनकाल के पूर्व सोलहवीं शताब्दी में हुई थी. करीब 400 साल पहले एक तपस्वी ने इसी स्थान पर घोर तप किया था और उन्हीं के समाधि पर मंदिर बनाया गया था. मान्यता है कि उन्हीं तपस्वी की जटाएं खुदाई में निकली थी. तभी से इस स्थान का नाम जटा शंकर रखा गया.
यहां औरंगजेब भी हारा
इतिहासकार स्वर्गीय शांतिलाल अग्रवाल के मुताबिक औरंगजेब ने मंदिर की खुदाई करवाई थी, ताकि शिवलिंग निकाला जा सके. हालांकि वे शिवलिंग को नहीं हटा पाए. खुदाई के दौरान शिवलिंग का सिरा पाने के स्थान पर उनके हाथ केवल जटाएं ही लगीं, तभी से स्थान जटाशंकर महादेव के नाम से भी जाना जाता है.
मंदिर दरगाह की एक दीवार
जटाशंकर महादेव मंदिर जमधड़ नदी के किनारे स्थित है. मंदिर की एक खासियत यह भी है कि यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल नजर आती है. मंदिर और दरगाह एक ही दीवार से लगे हुए हैं. दोनों धर्म के लोग श्रद्धा से यहां पहुंचते हैं.
शमशान भूमि में शिव शक्ति की आराधना
यह वास्तव में शमशान और कब्रिस्तान का इलाका है, इसलिए शमशान भूमि होने से यहां शिव और शक्ति दोनों की उपासना का विशेष महत्व है. इसीलिए मंदिर परिसर में नव दुर्गा के नौ मंदिर और 12 ज्योतिर्लिंग के मंदिर स्थापित करने की योजना है, जो जल्द पूरी होगी.
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