Bihar News: परिवार और राजनीति से नाता तोड़ चुकी लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने कल गुरुवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि, प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है, जहां वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है।
यह जानकर अच्छा लगा कि… – शांभवी चौधरी
रोहिणी आचार्य के इस बयान पर एलजेपी आर की सांसद शांभवी चौधरी की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। शांभवी चौधरी ने कहा कि, यह वैसे तो उनके परिवार का विषय है और किसी परिवार में यदि ऐसा हो रहा है तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन हम ये कह सकते हैं कि बेटियों का सम्मान सर्वश्रेष्ठ है, जिस प्रकार बेटों को अधिकार मिलता है, वैसे ही बेटियों को भी मिलना चाहिए। यह केवल एक राजनीतिक समस्या नहीं बल्कि एक सामाजिक समस्या है। ये जानकर अच्छा लगता है कि लालू यादव के परिवार के लोग भी अब संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और NDA गठबंधन की ओर देख रहे हैं।
राजद में घुट रहा लोगों का दम- संजय झा
वहीं, जदयू सांसद संजय झा ने इस मामले पर कहा कि, नीतीश कुमार तो सबको सुरक्षा देते हैं, खासकर महिलाओं का और यदि उन्होंने(रोहिणी आचार्य) कहा है तो जरूर सरकार इन सब बातों को संज्ञान में लेगी। हमने कभी किसी परिवार पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की लेकिन जब बेटी के अधिकार की बात आती है, तो उस समय बिहार में नीतीश कुमार का काम आगे रहता है… राजद के जो लोग हैं उनका भी दम घुट रहा है, वे भी सब देख रहे हैं… जनता सब देखती है और नतीजों ने भी साफ कर दिया है कि इनकी (राजद) राजनीति कितनी खोखली रही है।
रोहिणी आचार्य का एक्स पोस्ट
रोहिणी आचार्य ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा- लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है। सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजरl
रोहिणी ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा- बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है। प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है ,जहां वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है। इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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