अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो अभ्यारण में नामीबिया से आए चीतों ने स्थानीय भू- स्वामियों की किस्मत का पिटारा खोल दिया है. पर्यटन की अपार संभावनाओं को लेकर आए इन चीतों की वजह से हर स्थानीय भू-स्वामी की बाँछे खिली हुई है. चीतों के आने के बाद इस क्षेत्र में कारोबारियों की नजर होटल रिसोर्ट को रेस्टोरेंट बनाने के लिए भूमि की मांग बढ़ गई है. लेकिन आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण अधिकतर भूमि आदिवासियों की ही है. ऐसे में जमीन की खरीदी बिक्री संभव नहीं हो पा रही है. श्योपुर कलेक्टर की माने तो अगर कोई होटल बनाना चाहे तो भूस्वामी को भागीदार बनाना होगा, भूमि का स्वामित्व नहीं बदलेगा. इसके बाद से तमाम होटल रिसोर्ट खोलने वाले कारोबारी परेशान नजर आ रहे हैं.
8 गुना तक बढ़े दाम
कूनो में चीते आने से पहले ही आसपास बसे गांव टिकटौली, मोरावन सेसईपुरा, कराहल, बासेड़ में जमीन के दाम 8 गुना तक बढ़ गए हैं. यही नहीं जिन इक्का-दुक्का आम लोगों की जमीन है, वे मुंह मांगे दाम मांग रहे हैं.
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इसलिए खरीद बिक्री नहीं
कूनो में अधिकांश जमीन आदिवासी जनजाति समाज की है. जो भारत सरकार की छठी अनुसूची में शामिल है. इसके चलते किसी भी आदिवासी की जमीन की रजिस्ट्री का नामांतरण में किसी अन्य व्यक्ति के नाम नहीं हो सकता, अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन की बिक्री तो कलेक्टर के आदेश पर हो भी सकती है, लेकिन आदिवासियों की जमीन की बिक्री की अनुमति राष्ट्रपति के अनुमति के बाद ही हो सकती है. फिर भी प्रशासन कोई बीच का रास्ता निकालने में लगा है. ऐसे में कोई अगर बड़ा कारोबारी पूंजी का निवेश कर तीन से पांच सितारा होटल अन्य व्यवसाई गतिविधियों का संचालन करना चाहे तो उसे भूस्वामी को भागीदार बनाना होगा.
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फर्जी रजिस्ट्री बनी चुनौती
कितने फर्जी डिस्टिक के मामले पूर्ण सामने आ चुके हैं. इस कारण प्रशासन ज्यादा चौकन्ना है. आदिवासी बहुल करहल ब्लॉक में आदिवासी की हजारों बीघा जमीन पंजाब, दिल्ली, हरियाणा के कुछ कारोबारियो अवैध तरीके से कब्जा कर रखी है. फर्जीवाड़ा का रजिस्ट्री करानी है 6 साल पहले प्रशासन ने अभियान चलाकर ऐसी कई जमीनों को मुक्त भी कराया था तो कई के मामले में अभी स्थानीय न्यायालय में सुनवाई चल रही है.
कई ब्लॉक ऐसे जहाँ नहीं हो सकती खरीदी
वही पूरे मामले को लेकर ग्वालियर चंबल संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना की माने तो करहल ब्लॉक समेत कई इलाके ऐसे हैं, जहां जमीनों की खरीदी बिक्री नहीं हो सकती. हमारा मकसद नियमों का जिम्मेदारी से पालन करवाना है. कारोबार कराने वालों को चाहिए कि वह जमीन मालिकों को भागीदार बना कर कारोबार करें.
बता दें कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से भारत लाए गए 8 चीतों को मप्र के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर चीता परियोजना का शुभारंभ किया. पीएम मोदी ने बटन दबाकर पिंजड़े का दरवाजा खोला और चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिहा किया. कूनों के क्वारंटाइन बाड़े में तीन नर और पांच मादा चीतों को छोड़ा है. चीतों को छोड़ते हुए खुद कैमरे में कैप्चर किया. इन चीतों को एक विशेष विमान से आज सुबह ग्वालियर में भारतीय वायुसेना एयरबेस लाया गया. यहां से वायुसेना के चिनूक हेलीकाॅप्टर से इन चीतों को कूनो वन अभयारण्य लाया गया. चीतों के आने कूनो में जमीन की कीमत बढ़ गई है.
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