पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। भारत में ऐसी तमाम जगहें हैं, जहां के रहस्य आज तक सुलझ नही पाए। इन रहस्यों के कारण ही ये जगहें लोकप्रिय हैं। ऐसे ही मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित 2500 फीट की ऊंचाई पर खोडेनाथ शिव बाबा का मंदिर इन्हीं जगहों में से एक है, जिसका रहस्य अभी तक अनसुलझा है।जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर शिव मंदिर खोडेनाथ का रहस्य मंदिर स्थापित है। 

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पूरे भारत में सावन मास की धूम है और शिव मंदिरों में पूजन किए जा रहे हैं और कई मंदिरों के अनसुलझे रहस्य है उन्ही में एक सिंगरौली जिले में 2500 फीट की ऊंचाई पर निकले शिव आकृति में है।  जहां पुजारी की माने तो यह शिव आकृति अपने आप निकली है और तबसे पुश्तैनी रूप से इनकी पूजा अर्चना शुरू है और दूर दूर से लोग आते हैं और जो मन्नत मांगते हैं पूरी होती है।   

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बताया जाता है कि लगभग 1065 सीढ़ियों को चढ़ने के बाद यह शिव मंदिर मिलता है, जहां  स्वयंभू शिव आकृति स्थित हैं और यहां पर एक भक्त ने अपनी मन्नत पूरा होने पर मंदिर का निर्माण कराया है और अब दूर दूर से लोग यहां पूजा पाठ करने आते हैं। यहां सीढ़ियों पर उन श्रद्धालुओं के नाम लिखे है जिन्होंने सीढ़ी निर्माण के लिए दान दिया है। मंदिर के पुजारी की माने तो यहां पिछले कई वर्ष पहले पहाड़ में अचानक दीया जल रह था और उनके पूर्व जनों को स्वप्न आया और स्वप्न में जैसा बोला गया था उनके पूर्वजों द्वारा वैसा किया गया 5 दिन वहां पर दिया जलाने के बाद भोलेनाथ शिव बाबा वहां से उत्पन्न हुए और अब हर श्रद्धालुओं की मन्नत यहां पूरी होती है। 

मंदिर में कोई भी नहीं गुजारता रात 

बताया जाता है कि यहां देर रात कोई नहीं रहता है। एक बार ऐसा हुआ था कि यहां पर एक भक्त ने देर रात गुजारी और उसकी मौत हो गई, तब से बताया जाता है कि वहां पर शिव शंकर भोले बाबा के नाग रहते हैं और देर रात रुकने पर श्रद्धालुओं के साथ कोई घटना हो जाती है। तब से इस मंदिर पर रात में पुजारी तक वह नहीं रहते हैं। आखिर इसमें कितनी सच्चाई है यह तो लोग अपनी जुबानी ही बता रहे हैं। लेकिन इसकी सत्यता क्या है यह किसी को अब तक पता नहीं है।  

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सिंगरौली जिले के बरगवां सिंगरौली मुख्य मार्ग के कसर गांव के 2500 फीट ऊंचें पहाड़ी पर विराजमान खोडेनाथ बाबा का दर्शन करने के लिये भक्त 1065 सीढियां चढ़कर पहुंचते हैं, यहं आस्था और विश्वास की हर एक सीढ़ी किसी न किसी श्रद्धालु ने बनवाई है। हर सीढ़ी में किसी न किसी श्रद्धालु का नाम लिखा हुआ है। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आकर अपनी मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद मंदिर के निर्माण में कुछ न कुछ दान करके जाते हैं।     

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