शब्बीर अहमद भोपाल। भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का दिल्ली में जिस समय पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा था उसी समय भारत सरकार द्वारा के आदेश पर उनके ससुराल शहडोल में उनके पूर्वजों की समाधि तोड़ दी गई।

केंद्र सरकार के इस रवैये से उनके परिजन आहत है। इस कार्रवाई के पूर्व जनरल बिपिन के साले यशवर्धन सिंह के वाट्सऐप पर मैसेज भेजकर समाधि तोडऩे और पेड़ों को काटने तथा विरोध करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। सरकार, ठेकेदार और पुलिस प्रशासन के इस रवैए और कार्रवाई से पूरा परिवार आहत है। इस संबंध में सीडीएस बिपिन रावत के साले ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर मदद की गुहार लगाई है।

10 दिनों तक सीने में दबआ रखा दर्द
लल्लूराम डॉट काम से बात करते हुए यशवर्धन सिंह ने बताया कि घटना मेरे जीजा बिपिन रावत और दीदी मधुलिका रावत के दिल्ली में अंतिम संस्कार के दिन का है। हम लोग यहां से दिल्ली जा रहे और बरार चौक पहुंचे थे तभी ठेकेदार तक फोन आया। मैंने फोन नहीं उठाया। फिर मेरे फोन पर वाट्सऐप से एमपी आरडीसी के ठेकेदार के कर्मचारी अमित दीक्षित का मैसेज आया। मैसेज में दुर्घटना में जीजा के शीहद होने की घटना पर संवेदना व्यक्त करते हुए आपके पूर्वजों की समाधि स्थल पर आज से काम चालू करना है। ऊपर से आदेश मिला है। वहां पर किसी को भी विरोध के लिए ना भेजें। अगर किसी को भेजेंगे तो थाने के टीआई बल के साथ मौजूद है और तत्काल एक्शन लेगी।  उन्होंने कहा कि निर्माण पर रोक नहीं लगा सकते। सड़क से राष्ट्र का निमार्ण होता है। किंतु तेरहवीं कार्यक्रम तक के लिए रूक सकते थे। मैंने 10 दिनों तक यह दर्द अपने सीने में छिपा रखा था। आज सुबह दर्द छलक गया इसलिए सोशल मीडिया में पोस्ट डालकर मदद की गुहार लगाई है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने शहडोल में हमारे परिवार की एक एकड़ जमीन पहले भी अधिग्रहित कर चुकी है। उसका मुआवजा भी बहन मधुलिका रावत को मिल चुका है। सरकार द्वारा अचानक फिर से आधे एकड़ जमीन का जबरिया अधिग्रहण कर लिया है। इसके पहले न तो नोटिफिकेश जारी हुआ, ना ही लिखित में कोई सूचना या नोटिस जारी किया गया। मौखिक आदेश में जमीन का अधिग्रहण समझ से परे हैं। सरकार के इस रवैए से पूरा परिवार आहत है। वहां पर (शहडोल निज निवास परिसर) हमारे पूर्व अंतिम इलाकेदार स्व. लाल बहादुर, उनकी दो पत्नी और बिपिन रावत के ससुर स्व. कुंवर मृगेंद्र सिंह की समाधि हैं। जिसे तोड़कर एवं वहां स्थित पेड़ों को काटकर सड़क का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने अपने फेसबुक पर मंगलवार की सुबह पोस्ट डालकर शहडोल में निज निवास के परिसर से बिना अधिग्रहण कर पूर्वजों की समाधियों को नष्ट करने, पेड़ों की कटाई का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा यदि मौखिक रूप से भी बता दिया होता हम लोग सहयोग करते।

सोशल मीडिया में सीडीएस विपिन रावत के साले यशवर्धन सिंह के पोस्ट के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा है कि सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट मेरे संज्ञान में आई है। मैंने इस विषय में एसपी शहडोल से बातचीत कर निर्देश दिए हैं कि पूरा मामला मेरी जानकारी में लाए बिना पुलिस किसी भी तरह का कोई कदम उनके या उनके परिवार के खिलाफ नहीं उठाए। अगर पुलिस द्वारा किसी भी तरह का पूर्वाग्रह इस मामले में बरता गया है और किसी भी तरह की अवैधानिक कार्यवाही को प्रश्रय दिया है तो मैं खुद पूरे मामले को देखूंगा और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।

शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य का भी एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में मामला आया है और वह तहसीलदार व संबंधित अधिकारियों को मौके पर भेजकर जांच कराएंगी। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण काफी समय से चल रहा है। जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि जिस जमीन पर निर्माण हुआ वह किस स्थिति में है। साथ ही यश वर्धन सिंह के आने के बाद बैठकर मामले को दिखवा लिया जाएगा।

अवधेश गोस्वामी एसपी शहडोल ने कहा उनके तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही और न ही उनके पास ऐसी कोई शिकायत आई है।इस मामले में एमपी आरडीसी का कहना है कि उनके पूर्वजों के समाधि स्थल का अधिग्रहण किया जा चुका। काम डेढ़ माह पहले शुरू किया गया था। इनामी कुछ जमीन आ रही है उसकी अधिग्रहण की प्रक्रिया चालू है। सोशल मीडिया से इसको नहीं जोडऩा चाहिए उनकी सहमति से समाधि स्थल पर निर्माण कार्य किया गया है।

जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका सिंह शहडोल की निवासी थीं। मधुलिका सिंह के पिता मृगेंद्र सिंह सोहागपुर से 1967 और 1972 में दो बार कांग्रेस के विधायक रहे। मधुलिका सिंह का जनरल बिपिन रावत से विवाह 1985 में हुआ था। यशवर्धन सिंह भी जनरल बिपिन रावत और मधुलिका सिंह के अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली पहुंचे थे।