सदफ हामिद, भोपाल। मध्यप्रदेश विधान सभा का 5 दिवसीय शीतकालीन सत्र कल से सोमवार से शुरू हो रहा है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सत्र चलाने में सहयोग के लिए रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। उन्होंने बैठक में कहा कि सदन को जन अपेक्षाओं की पूर्ति का माध्यम समझें। जन आकांक्षा की बात रखें तो सार्थक परिणाम निकलेगा प्रदेश के कल्याण के लिए जनता के लिए सभी दल से अनुरोध किया है। विपक्ष के सत्र छोटा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 5 दिन तो चलाइए सत्र। हल्ला गुल्ला कराकर स्थगित करा कर चले जाएंगे यह ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि 5 दिन समय निर्धारित को पूरा करें। काम अवधि देखकर समय बढ़ा सकते हैं। दिन नहीं बढ़ाई जा सकते, लेकिन सदन का समय बढ़ाया जाएगा। शाम को 5 बजे की जगह देर शाम तक लगेगा सत्र। लंच का समय भी चर्चा में एडजस्ट किया जाएगा 22 दिसम्बर को नवाचार करेंगे। नए महिला विधायकों के लिए प्रश्न तारांकित किए गए हैं। 5 विधेयक 180 ध्यानाकर्षण आए हैं। सत्र के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। जिन्होंने दोनों डोज लगाए हैं उन्हीं को प्रवेश दिया जाएगा।

सीधे पूरक प्रश्न पूछ सकेंगे
प्रिंटेड प्रश्न उत्तर के पढऩे के बजाय सीधा पूरक प्रश्न पूछ सकेंगे विधायक। प्रश्न न पढऩा पढ़ें, न उत्तर पढऩा पढ़े। इसलिए उनसे कहा है कि पहले से अध्य्यन करें, सवाल पूछे इससे समय बचेगा और दूसरे को सवाल पूछने का मौका मिलेगा

विधायक सचिन बिरला पर फंसा पेंच
विधानसभा सत्र कल से शुरू हो रहा किंतु कांग्रेस विधायक सचिन बिरला पर नहीं हुआ फैसला। बिरला की विधायकी बचेगी या नहीं यह असमंजस बरकरार है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को फैसला लेना है।

बता दें कि उपचुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुए थे कांग्रेस विधायक बिरला। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बिरला के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विधानसभा को पत्र लिखा है। कांग्रेस ने दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने कहा है। कांग्रेस विधायकदल के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने 9 नवंबर को पत्र लिखा था। उनके पत्र पर अब तक फैसला नहीं हुआ है।

कांग्रेस लाएगी स्थगन प्रस्ताव
विधानसभा की सर्वदलीय बैठक से निकलकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि विधानसभा सत्र की अवधि बहुत कम है। सत्र की अवधि ज्यादा होनी चाहिए। कम अवधि के सत्र में नहीं हो पाती सार्थक चर्चा। उन्होंने कहा कि जनहित के मुद्दे उठाएंगे। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा को सरकार तैयार नहीं। आरक्षण मुद्दा है, खाद, बीज, बेरोजगारी महंगाई मुद्दा है। स्थगन प्रस्ताव लाएंगे हम, क्या सरकार चर्चा कराएगी। कार्यवाही इस प्रकार चले जिससे सब को लगे कि उनके साथ अन्याय हुआ है।