कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। टाइगर, तेंदुआ और भेड़िया स्टेट के बाद अब जल्द ही मध्य प्रदेश गिद्ध स्टेट के रूप में भी जाना जाएगा। मध्य प्रदेश में गिद्धों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि अब देश में गिद्धों की संख्या मामले में मध्य प्रदेश अव्वल हो गया है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अनुसार अब मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या 10000 के पार पहुंच गई है। ऐसे में वन्य प्राणियों के संरक्षण और इकोसिस्टम को लेकर बहुत ही खूबसूरत तस्वीर सामने आई है। 

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मध्य प्रदेश की इस उपलब्धि पर मध्य प्रदेश के निवासी भी खुश नजर आ रहे हैं। खासकर ग्वालियर चंबल अंचल के लोग सबसे ज्यादा खुश हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा तेजी से गिद्धों की संख्या में गिरावट ग्वालियर चंबल अंचल में ही दर्ज की गई थी। लेकिन अब मध्य प्रदेश सहित ग्वालियर चंबल अंचल में भी गिद्धों का कुनबा का तेजी से बड़ा है। लोगों का कहना है कि पर्यावरण के लिए गिद्धों का होना बहुत जरूरी है। अब मध्य प्रदेश गिद्ध स्टेट के रूप में जाना जाएगा तो गर्व भी हो रहा है और पर्यावरण के लिए खुशी भी हो रही है।

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 मध्य प्रदेश के साथ ही ग्वालियर संभाग में गिद्धों के कुनबे में हुई वृद्धि को लेकर वन्य प्राणी विशेषज्ञ गौरव परिहार का कहना है कि मध्य प्रदेश के साथ ही ग्वालियर चंबल संभाग में भी गिद्धों की संख्या बढ़ रही है। एक समय था जब इनकी संख्या लगातार घट रही थी। वन विभाग की गणना में भी सामने आ गया है कि गिद्धों का कुनबा बड़ा है।

पहले गिद्ध कभी नजर नहीं आते थे लेकिन अब आसानी से शहरी क्षेत्र में भी गिद्ध नजर आ रहे हैं। खुशी की बात यह भी है कि हिमालय से माइग्रेट करके आने वाले हिमालयन वल्चर भी देखे गए हैं और उनकी संख्या भी इस अंचल में बड़ी है। इनकी संख्या बढ़ रही है, उनके बच्चे सरवाइव कर रहे हैं तो यह एक सुखद संदेश है कि हमारा पर्यावरण सुद्रण हो रहा है।

वन्य प्राणी विशेषज्ञ गौरव परिहार का यह भी कहना है कि मध्य प्रदेश में गिद्धों का कुनबा जो बड़ा है उसके पीछे पब्लिक पार्टिसिपेशन की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। क्योंकि अब लोग जागरुक हो रहे हैं और यदि उन्हें कोई घायल गिद्ध या वल्चर मिलता है तो वह तत्काल आसपास के चिड़ियाघर या वन्य प्राणी सेंटर पर उसे ले जाते हैं। जहां वो जल्द ही ठीक होकर खुले आसमान में ऊंची उड़ान भरता है।

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हमारे इकोसिस्टम के लिए गिद्ध बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे लेकर गौरव परिहार ने बताया कि यह प्रकृति के सफाई कर्मचारी हैं। प्रकृति में जो भी सड़ा गला डेड एनिमल, जैविक कचरा होता है उसकी सफाई का काम यह वल्चर करते हैं। यदि यह नहीं होंगे तो कई तरह के वाइरस और बीमारियां फैलेंगी। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ रही है तो कई तरह की बीमारी और वायरस से लोगों को मुक्ति मिलेगी। गौरतलब है कि अब मध्य प्रदेश में अप्रैल के महीने में एक बार फिर गणना होगी। फिर MP को गिद्ध स्टेट का तमगा भी हासिल हो जाएगा।

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गिद्धों के जुड़ी ख़ास जानकारी 

-प्रथम चरण में 16 से 18 फरवरी को हुई गिद्ध गणना 2023-24

-भारत में 9 और मध्य प्रदेश में 7 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं

-इनमें चार स्थानीय और तीन प्रवासी गिद्ध होते हैं जो सर्दी के बाद चले जाते हैं

-गिद्धों की संख्या में अब मध्य प्रदेश हुआ अव्वल

-टाइगर रिजर्व ,सेंचुरी सहित चिन्हित स्थानों पर हुई गणना

-प्रदेश में गिद्धों की संख्या 10000 के पार हुई

-वर्ष 2021 की गिद्ध गणना में प्रदेश में 9446 संख्या पाई गई थी

-गिद्ध गणना 2023-24 मेंवन व्रत ग्वालियर संभाग के पांच मंडलों में ही गिद्धों की संख्या 641 मिली

-अंचल के ग्वालियर भिंड मुरैना दतिया और शिवपुरी के जंगलों में 124 घर यानी घोसले मिले

-ग्वालियर शहर की किला तलहटी में भी सबसे ज्यादा गिद्ध देखे गए

-ग्वालियर जिले में ही संख्या 162 से बढ़कर 337 पर पहुंची

-ग्वालियर के तिघरा रेंज में सबसे ज्यादा 168 गिद्ध मिले

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