अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश के कॉलेजों में अब कम्युनिस्ट विचारधारा (Communist ideology) की एंट्री हो गई है। प्रदेश के कॉलेज स्टूडेंट हमेशा बीजेपी और संघ के निशाने पर रहने वाली अरुंधति रॉय की किताब ‘अलजेब्रा ऑफ इनफाइनाइट जस्टिस’ की पढ़ाई करेंगे। बीए के सिलेबस में अरुंधति रॉय की किताब को रेफरेंस बुक के तौर पर शामिल किया गया है। जिसको लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है। बीजेपी ने कहा कि अरुंधति रॉय ने कई जगह भारत को नीचा दिखाया, उनकी बुक को किस संदर्भ में लिया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। जिस पर पलटवार करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने कहा कि बीजेपी में संकुचित मानसिकता के लोग हैं। उनको साहित्य और संस्कृति की समझ ही नहीं है।
उच्च शिक्षा विभाग के केंद्रीय अध्ययन मंडल ने नई शिक्षा नीति में अरुंधति की किताब ‘अलजेब्रा ऑफ इनफाइनाइट जस्टिस’ को बीए के सिलेबस में रेफरेंस बुक के तौर पर शामिल किया है। इस किताब को अंग्रेजी साहित्य बीए सेकंड ईयर के पहले पेपर की चौथी यूनिट में लिया गया है। इस यूनिट का टॉपिक पॉलीटिकल राइटिंग है।
वहीं बीजेपी प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि अरुंधति रॉय राष्ट्रीय अखंडता को लेकर विवादास्पद बयान दे चुकी है। तमाम जगह पर उन्होंने भारत को नीचा दिखाया है। बुक को किस संदर्भ में लिया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। अरुंधति रॉय की कोई भी पुस्तक को स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे कोई और भी लेखक हैं तो उन्हें हटाने का काम करें। ये सब गलत संदेश देने वाले लोग हैं। उच्च शिक्षा विभाग संजीदगी के साथ विचार करे।
अरुंधति रॉय की बुक को लेकर संघ के जानकार रमेश शर्मा का कहना है कि अरुंधति रॉय ने हमेशा भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ बयान दिए हैं। अरुंधति कूट रचित आधार पर भारत को बदनाम करती आई है। हमेशा वामपंथी और तालिबानी लोग भारत के विरुद्ध रहे हैं। अरुंधति रॉय ऐसे ग्रुप को समर्थन देती है, उनसे जुड़ी है। बुक में मौजूद तथ्य और चैप्टर की जांच होनी चाहिए और अगर वो अनुरूप नहीं है तो बुक को हटा देना चाहिए।
इधर, अरुंधति रॉय की बुक के मामले में कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है। मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हाफ़िज़ ने कहा कि बीजेपी को हर ऐसा काम करना है जिससे उन्हें राजनीतिक फ़ायदा हो। अरुंधति रॉय की बुक को शामिल बीजेपी की सरकार में ही किया गया है। क्या उच्च शिक्षा मंत्री को उनके विभाग के काम की खबर नहीं थी? मेरिट के आधार पर बुक को शामिल किया गया था। अब किस आधार के ऊपर रिव्यू करने को कहा जा रहा है। बीजेपी लोगों के बीच बंटवारा करना चाहती है। बीजेपी की यही राजनीति उनको एक दिन भारी पड़ने वाली है।
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शैलेंद्र कुमार शैली ने कहा कि बीजेपी में संकुचित मानसिकता के लोग हैं। साहित्य और संस्कृति की बीजेपी नेताओं को समझ नहीं है। भाजपा को समझ नहीं इसलिए विरोध किया जा रहा है। यही है बीजेपी का राष्ट्रवाद। अरुंधति राय ने हमेशा समाज और वंचित तबके की आवाज उठाई।
अरुंधति रॉय ने NRC को लेकर दिया था विवादित बयान
बता दें कि साल 2019 में NRC के खिलाफ अरुंधति रॉय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा था कि जब आप से कोई जानकारी मांगने आएं तो उन्हें गलत जानकारी देना। अपना नाम रंगा बिल्ला बताना।
इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अगर यही हमारे देश के बुद्धिजीवी हैं तो पहले हमें ऐसे ‘बुद्धिजीवियों’ का रजिस्टर बनाना चाहिए! वैसे उन्होंने अपना नाम तो बता ही दिया, साथ में ये भी बता दिया कि उन्हें कंग-फ़ू की भी जानकारी है।’ इसके साथ ही शिवराज चौहान ने कहा, ‘अरुंधती जी को शर्म आनी चाहिए! ऐसे बयान देश के साथ विश्वासघात नहीं है तो क्या है?’
वहीं उमा भारती ने कहा था कि ‘रंगा-बिल्ला वो धृणित अपराधी थे जिन्होंने स्कूल की छात्रा के साथ दुराचरण कर के उसकी हत्या की तथा उसको बचाने की कोशिश में लगे उसके भाई की भी हत्या कर दी। देशवासियों को याद आ जाएगा कि वह कितना धृणित एवं जघन्यतम कृत्य था। मैं शर्मिंदा हूं कि मुझे इस महिला के नाम का जिक्र करना पड़ रहा है, जिसके दिमाग में रंगा-बिल्ला जैसे लोग भी आदर्श हो सकते हैं। यह विचार महिला विरोधी, मानवता विरोधी एवं बेहद घृणित एवं विकृत मानसिकता की पहचान है। ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवी सिर्फ घृणा एवं निंदा के पात्र हैं। ऐसी सोच का तथा ऐसे लोगों का पूर्णतः बहिष्कार होना चाहिए।
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