Muharram 2024 : इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है.रमजान के बाद इस्लाम में मुहर्रम का खास स्थान होता है. रमजान के बाद मुहर्रम को खास तवज्जो दी गई है.मोहर्रम मुस्लिम समुदाय के लोगों का खास पर्व है. मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है. 7 जुलाई 2024 को मोहर्रम का महीना शुरू हो चुका है. मोहर्रम महीने का दसवां दिन बहुत ही खास होता है और इस दिन को आशूरा के तौर पर मनाया जाता है.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मातम के तौर पर मनाते हैं. इस दौरान देशभर में जुलूस निकाले जाते हैं.जोकि इस बार 17 जुलाई 2024 को है. हालांकि इस्लाम में हर त्योहार चांद के दीदार होने के बाद ही मनाया जाता है. ऐसे में आज यानी 16 जुलाई 2024 को चांद का दीदार होने के बाद ही आधिकारिक तौर पर मुहर्रम की तारीख का ऐलान किया जाएगा.
शिया और सुन्नी कैसे मनाते हैं मुहर्रम (Muharram 2024)
मुसलमानों के लिए यह शोक, गम और त्याग का त्योहार होता है. इसलिए इस दिन लोग काले रंग के कपड़े पहनते हैं और कर्बला की जंग में शहादत होने वालों की याद में मातम मनाते हुए ताजिया जुलूस निकालते हैं. हालांकि मुहर्रम विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है. जैसे शिया समुदाय के लोगों द्वारा ताजिया निकाला जाता है, मजलिस पढ़े जाते हैं और दुख जाहिर किया जाता है. तो वहीं सुन्नी समुदाय वाले रोजा रखकर नमाज अदा करते हैं.
यौम ए आशूरा क्या है?
यौम-ए-आशूरा मुहर्रम के 10वें दिन को कहा जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे. इसलिए इस दिन को खुशी के उत्सव के बजाय शोक के रूप में मनाया जाता है.
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