पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा. डीआरजी के जवानों ने मंगलवार को मुनगा के जंगलों में मुठभेड़ में एक-एक लाख के इनामी नक्सली हिड़मा और लखमा को मार गिराने का दावा किया था. इस मुठभेड़ को बड़ेगादम के ग्रामीणों ने फर्जी बताया है. उन्होंने शव लेने से मना कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि हड़मा और लखमा को जवानों ने जबरन पकड़कर गोली मारी है.

कथित नक्सली लखमा मंडावी की पत्नी हड़मे अपने 5 महीने के बच्चे को लेकर पहुंची थी. वहीं हिड़मा की पत्नी बामी गर्भवती हालात में ग्रामीणों के साथ दंतेवाड़ा में भटकते पहुंची. जबकि प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल व बस्तर सांसद अधिकारियों की बैठक के लिए पहुंचे थे.

इधर, न्याय के लिए बामी दुधमुंहे बच्चे और गर्भवती हड़मे घंटों भटकती रहीं, आख़िरकार उन्हें सर्व समाज का सहारा मिला, जिन्होंने न्याय दिलाने हर संभव प्रयास का आश्वासन देते हुए तत्काल 11 सदस्यीय जांच दल गठित किया.

लखमा की 70 वर्षीय मां हूंगी ने बताया कि दोनों लोग खेतों में सुअर की रखवाली के लिये गए थे. पुलिस की वर्दी में बंदूक लिए कुछ जवान खेत की तरफ आये, जिन्होंने दोनों को खेत से ही उठा लिया. आये लोगों में से 5 लोगों के नाम परिजनों ने मिडकोम सुरनार,  हीरालाल, गंगा,  बैरागी चिकपाल निवासी व मडा को परिजनों ने पहचान भी लिया.

परिजनों ने यह भी बताया कि हिड़मा लाल शर्ट पहना था. वहीं लखमा सिर्फ बनियान पहने हुए थे. मगर पुलिस ने दोनों के पास से 2 भरमार बंदूक, 45 नग डेटोनेटर, टिफिन बम, वायर, साहित्य, रेडियो बरामद करने का दावा किया था. मगर परिजनों और ग्रामीणों की माने तो दोनों खेत पर निहत्थे थे. जबकि हिड़मा को पहले 5 साल की नक्सली मामले में जेल भी हो चुकी थी. पर सबूतों के अभाव में वह छूट गया था.

घटना के दूसरे दिन ग्रामीण सर्व मूल समाज के पास घटना की जांच को लेकर पहुंचे थे. जहां सोनी सोरी सामाजिक कार्यकर्ता, भीमसेन मंडावी, चमन कुंजाम, और कई सरपंच समाजिक लोग मौजूद थे. जिन्होंने 11 सदस्यों की एक जांच टीम गांव जाकर घटना की जांच करने के लिए बना लिया है. इस घटना के पुरजोर विरोध करने की बात भी कह रहे हैं. जिला पंचायत सदस्य भीमसेन मंडावी ने बताया कि कटेकल्यान रैली में ही दोनों जवानों घरों से पकड़ने की खबर मिली थी. मगर बाद में पता चला कि डीआरजी ने पेड़ से टिकाकर दोनों को गोली मार दी. हम इस मामले में न्यायिक जांच की मांग करते हैं. साथ ही गुरुवार को बड़ेगादम घटना की वास्तविकता पता लगाने भी पहुंचेंगे.

हालांकि कथित मुठभेड़ में पुलिस ने दोनों मृत को माओवादियों की 26 नंबर प्लाटून का सदस्य बताया था. साथ ही थाने में लगे अपराधों की फेहरिस्त भी जारी की थी. मगर ग्रामीणों ने इसी मुठभेड़ को फर्जी नाट्य रूपांतरण हत्या बताकर जांचकर न्याय लेने की बात कर रहे.