नई दिल्ली. यूपी में जुमे के नमाज के बाद हिंसा और उसके बाद हुई कार्रवाई में मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के दमन का आरोप लगाते हुए तीन पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जजों समेत 12 लोगों ने चीफ जस्टिस को पत्र याचिका भेजी है. चिट्ठी में अदालत से पुलिस व प्रशासन की प्रताड़ना और मौलिक अधिकारों का हनन करने पर स्वत: संज्ञान लेने की गुहार लगाई गई है. इसमें कहा गया है कि कुछ भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई हालिया टिप्पणी  से  देश के कई हिस्सों में और विशेष रूप से यूपी में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारियों को सुनने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका देने के बजाय, यूपी राज्य प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है.

बता दें कि इस पत्र में उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से हिरासत में लेने, घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई और पुलिस हिरासत में कथित पुलिस हिंसा की अलग-अलग घटनाओं का सो-मोटो लेने का आग्रह किया है. बता दें कि पत्र में लिखा गया है कि ‘मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर आधिकारिक तौर पर अधिकारियों को ‘दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया है कि यह एक उदाहरण स्थापित करता है ताकि कोई भी अपराध न करे या भविष्य में कानून अपने हाथ में न ले.’ साथ ही पत्र याचिका में आगे लिखा है कि ‘उन्होंने आगे निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986, गैरकानूनी विरोध के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ लागू किया जाना चाहिए. इन टिप्पणियों ने पुलिस को क्रूरता और गैरकानूनी रूप से प्रदर्शनकारियों को यातना देने के लिए प्रोत्साहित किया है.’

पत्र में जजों ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और विरोध करने वाले नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. विभिन्न वीडियो सामने आए हैं, जिसमें देखा यह देखा गया है कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना सूचना के तोड़ा जा रहा है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रदर्शनकारियों का पीछा किया जा रहा है और पुलिस उन्हें पीट रही हैं. गैरकानूनी तरीके से हो रही हैं NSA और गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई पत्र में कहा गया है कि बीजेपी से निलंबित हो चुके 2 प्रवक्ताओं ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित बयान दिया. इससे आंदोलन हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों को गैरकानूनी तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. राज्य सरकार ने इन लोगों के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA और गैंगस्टर एक्ट जैसे सख्त कानून लगाने के भी निर्देश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व जजों समेत इन 12 लोगों के हस्ताक्षर –

1. जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट
2. जस्टिस वी. गोपाला गौड़ा, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट
3. जस्टिस ए. के. गांगुली, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट
4. जस्टिस ए. पी. शाह, पूर्व चीफ जस्टिस, दिल्ली हाई कोर्ट
5. जस्टिस के. चन्द्रू, पूर्व जज, मद्रास हाई कोर्ट
6. जस्टिस मोहम्मद अनवर, पूर्व जज, कर्नाटक हाई कोर्ट
7. शांति भूषण, वरिष्ठ वकील
8. इंदिरा जयसिंह, वरिष्ठ वकील
9. चंदर उदय सिंह, वरिष्ठ वकील
10. श्रीराम पंचू, वरिष्ठ वकील
11. प्रशांत भूषण, वकील
12. आनंद ग्रोवर, वरिष्ठ वकील

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