नई दिल्ली. धर्म नगरी काशी में शनिवार को रामनवमी के मौके पर हिन्दू-मुस्लिम एकता की अद्भुत मिसाल देखने को मिली. भले ही देश में लोकसभा चुनाव के प्रचार में अली और बजरंगबली के नाम पर सियासी ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही हो, लेकिन इसी के बीच शनिवार को काशी की मुस्लिम महिलाओं ने मजहब की दीवारों को तोड़ प्रभु श्रीराम की आरती उतार एक बार फिर दुनिया को साम्प्रदायिक एकता का संदेश दिया. इस खास मौके पर मुस्लिम समाज की महिलाओं के साथ तमाम हिंदू लोगों ने भी भगवान राम की आराधना की.
भारत विशाल संस्थान और मुस्लिम महिला फाउंडेशन की ओर से आयोजित श्रीराम जन्म उत्सव में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं जुटीं. महापौर मृदुला जायसवाल भी कार्यक्रम में पहुंची. पातालपुरी मठ के महंत बालकदास की मौजूदगी में मुस्लिम और हिंदू महिलाओं ने ‘भए प्रगट कृपाला दीन दयाला…’ और सोहर गाकर पूजन के बाद प्रभु श्रीराम की भव्य आरती उतारी. हनुमान चालीसा का पाठ भी किया.
हमारे पूर्वज हैं भगवान श्री राम
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि हम धर्म-जाति बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज को नहीं. प्रत्येक भारतीय के श्रीराम ही पूर्वज हैं इसलिए उनके जन्म की खुशी में सभी को शामिल होना चाहिए. नाजनीन ने कहा कि हम धमकियों से डरने वाले नहीं है. ऐसे ही प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मनाते रहेंगे. पूरी दुनिया में शांति स्थापना के लिए श्रीराम चरित्र से बेहतर कोई उदाहरण नहीं ओर राम राज्य से बेहतर कोई शासन नहीं है.