रायपुर: अत्याधुनिक चिकत्सा के इस दौर में भी पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा और नाड़ी वैद्यों का महत्व कायम है..अभी भी कई ऐसे जटिल रोग,जिनका एलोपैथी में महंगा और कठिन इलाज होता है,पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सक और नाड़ी वैद्य कई बार घरेलू नुस्खे और जड़ी बूडियों से ठीक कर देते हैं.. यही कारण है कि दूरदराज के वनांचलों में रहने वाले इन नाड़ी वैद्य और आयुर्वेद चिकित्सकों के घरों पर शहरी लोगों का मजमा लगा रहता है..राज्य वनौषधि बोर्ड ने ऐसे विख्यात नाड़ी वैद्य और पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सकों को रायपुर में आयोजित वन मड़ई में आमंत्रित किया है,जिससे उनके हुनर का लाभ स्थानीय मरीज भी ले सकें।

राजधानी रायपुर के शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में रविवार 13 अगस्त से शुरू हो रहे तीन दिवसीय वन मड़ई में छत्तीसगढ़ के लगभग 250 हर्बल चिकित्सक भी शामिल होंगे। उनके द्वारा अपने परम्परागत ज्ञान और जड़ी-बूटियों तथा अन्य महत्वपूर्ण वनौषधियों के जरिए जरूरतमंद मरीजों का इलाज किया जाएगा। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने वन मड़ई में लगभग 20 प्रख्यात नाड़ी वैद्यों को भी आमंत्रित किया है। इस आयोजन में वनौषधि बोर्ड द्वारा स्टाल लगाकर अपनी योजनाओं और उपलब्धियों की भी जानकारी दी जाएगी। बोर्ड के स्टाल में राज्य के दूर-दराज गांवों से आने वाले विशेषज्ञ हर्बल चिकित्सक और नाड़ी वैद्य जनता को अपनी सेवाएं देंगे।