
महाराष्ट्र के नागपुर में 17 मार्च को औरंगजेब की कब्र को लेकर उत्पन्न विवाद ने हिंसक झड़पों और आगजनी का रूप ले लिया. यह घटना महाल क्षेत्र में हुई, जहां दो गुटों के बीच तनाव बढ़ने के कारण पत्थरबाजी, वाहनों में आगजनी और पुलिस पर हमले की घटनाएं हुईं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया. इस हिंसा में कम से कम 11 लोग घायल हुए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. भारी बवाल को देखते हुए नागपुर के कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागरिकों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है. आइए, इस विवाद और इसके घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा को एक साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. सोमवार दोपहर को औरंगजेब के संदर्भ में प्रदर्शन हुआ, लेकिन रात में पुलिसकर्मियों पर पथराव और हथियारों से हमला किया गया, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हुए. शिंदे ने इस प्रकार के हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर इस तरह का आक्रमण अस्वीकार्य है. विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि औरंगजेब के प्रति विपक्ष का समर्थन असंगत है, क्योंकि उसने महाराष्ट्र पर आक्रमण किया और अत्याचार किया. ऐसे लोगों का समर्थन करने वाले देशद्रोही हैं.
विवाद की शुरुआत: औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के सदस्यों ने सोमवार को नागपुर के महाल गांधी गेट क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के समक्ष औरंगजेब का पुतला जलाया. इन संगठनों का दावा है कि खुल्दाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाना आवश्यक है. उनका तर्क है कि औरंगजेब एक “अत्याचारी शासक” था, और उसकी कब्र का सम्मान करना उचित नहीं है. प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया, लेकिन शाम होते-होते मामला फिर से गरमा गया.
शाम लगभग 7:00 से 7:30 बजे के बीच शिवाजी चौक के निकट एक समूह ने हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के खिलाफ नारेबाजी शुरू की. इस पर एक अन्य समूह भी नारेबाजी में शामिल हो गया, जिससे स्थिति में तनाव उत्पन्न हो गया. इसी दौरान, यह अफवाह फैल गई कि विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान एक पवित्र कलमा लिखा कपड़ा और एक धार्मिक पुस्तक को जला दिया. इस अफवाह ने हालात को और बिगाड़ दिया, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई.
हिंसा का दौर: पत्थरबाजी और आगजनी
अफवाह के फैलने के बाद चिटनिस पार्क से भालदारपुरा क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी. उपद्रवियों ने पुलिस पर भारी पत्थर फेंके, कई वाहनों को आग लगा दी, और आस-पास की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. एक जेसीबी मशीन समेत कई गाड़ियां जलकर खाक हो गईं. स्थानीय निवासियों ने बताया कि घरों की छतों से भी पत्थर फेंके गए, जिससे पुलिस हैरान रह गई कि इतने बड़े पत्थर कहां से आए. इस हिंसा में 11 लोग घायल हुए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. नागपुर के ज्वाइंट कमिश्नर निसार तंबोली ने बताया कि हिंसा में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच प्रक्रिया जारी है.
पुलिस ने जनसमूह को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. रात के समय हिंसा कोतवाली और गणेशपेठ क्षेत्रों में फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई. आग पर काबू पाने और स्थिति को सामान्य करने के लिए दमकलकर्मी और अतिरिक्त पुलिस बल को मौके पर तैनात किया गया.
विवाद का कारण: अफवाहों का खेल
पुलिस के अनुसार, हालिया हिंसा की उत्पत्ति एक गलतफहमी और फैली हुई अफवाहों में निहित है. प्रदर्शन के दौरान जब औरंगजेब का पुतला जलाया गया, तो कुछ व्यक्तियों ने यह दावा किया कि उस पुतले पर रखी हरी चादर पर धार्मिक शब्द लिखे हुए थे, जिसे आग के हवाले किया गया. यह जानकारी तेजी से फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. मुस्लिम संगठनों ने इसे उनके धार्मिक भावनाओं पर हमला मानते हुए बजरंग दल के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की. हालांकि, बजरंग दल ने इन आरोपों को नकारते हुए स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल औरंगजेब का पुतला जलाया, न कि किसी पवित्र वस्तु को.
इस दौरान, VHP के महाराष्ट्र-गोवा क्षेत्र के नेता गोविंद शेंडे ने कहा, “हमने बाबरी ढांचे को गिराने की प्रतिज्ञा की थी, जिसे हमने पूरा किया. अब हमने औरंगजेब की कब्र को हटाने की शपथ ली है और इसे भी पूरा करेंगे.” यह बयान विवाद को और बढ़ा सकता है.
नागपुर की मौजूदा स्थिति, लगा कर्फ्यू
आज सुबह 6:30 बजे तक नागपुर में स्थिति नियंत्रण में है, हालांकि तनाव अभी भी बना हुआ है. पुलिस आयुक्त डॉ. रविंदर कुमार सिंगल ने एक आदेश जारी करते हुए बताया कि नागपुर शहर के कोतवाली, गणेशपेठ, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरा नगर और कपिल नगर पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किया गया है. यह कर्फ्यू अगले आदेश तक जारी रहेगा.
महल, चिटनिस पार्क और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF), दंगा नियंत्रण पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है. पुलिस ने लगभग 50 व्यक्तियों को हिरासत में लिया है और हिंसा के पीछे की साजिश की जांच कर रही है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बयान में कहा कि नागपुर को शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है. उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के साथ सहयोग करें. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने औरंगजेब का महिमामंडन करने वालों को “देशद्रोही” बताते हुए उनकी कड़ी निंदा की.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
यह विवाद अब राजनीतिक स्वरूप धारण कर चुका है. भाजपा विधायक प्रवीण दटके ने आरोप लगाया है कि हिंसा में “बाहरी तत्व” शामिल थे और इसे एक सुनियोजित साजिश के रूप में प्रस्तुत किया. दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की “विभाजनकारी नीति” का हिस्सा करार दिया है. समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने औरंगजेब की प्रशंसा की, ने इस मुद्दे को और भी गरमा दिया. आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र से निलंबित कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप यह विवाद पूरे राज्य में फैल गया है.
आगे क्या?
औरंगजेब की कब्र के संबंध में विवाद समाप्त होने के बजाय और भी गहरा होता जा रहा है. खुल्दाबाद में कब्र की सुरक्षा के लिए पहले से ही CRPF और पुलिस की तैनाती की गई है, लेकिन नागपुर की घटना ने इसे एक राज्यव्यापी समस्या बना दिया है. प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है, फिर भी आने वाले दिनों में तनाव बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
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