रायपुर. भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय का बयान सामने आया है. नंदकुमार साय ने कहा कि, कुछ वर्षों से मुझे ऐसा लगा की बीजेपी कमजोर होने लगी है. मेरी यही कोशिश रही कि भारतीय जनता पार्टी निरंतर मजबूत रहे. आगे साय ने कहा, हमारी वहां चिट्ठी गई, कोई तवज्जो नहीं मिला. कोई जवाब नहीं आया. ओम माथुर से हमारा संपर्क नहीं हो पाया, किसी ने हमसे बात किया ही नहीं, केंद्र से और यहां से किसी से कोई रिप्लाई नहीं आया. सभी से संपर्क करने की कोशिश की गई.

आगे उन्होंने कहा, भाजपा के कार्यकर्ता नाराज लगे, मैं चिंतित होता रहा. एक बार मैने प्रेस वार्ता कर कहा, पुराने नए सभी लोगों को आगे बढ़ने की ओर अग्रसर करें. मुझे ऐसा लगा कि, भाजपा में हमारी भूमिका कमजोर है. सक्रियता कि दृष्टि से तमाम लोग नए थे. मैं केंद्र को निर्देशित भी किया, मैं मिलने की कोशिश भी किया, लेकिन मिलना नहीं हो पाया. कभी कोई बात नहीं हुई. कोई चर्चा नहीं हुई.

मुझे ऐसा लगा पार्टी कमजोर हुई. अंत में मैने यह निर्णय किया और लिखित में रिजाइन दिया. रिजाइन पर किसी ने कुछ पूछा नहीं. विषय भी बता दिया, उसके बाद भी कोई बात सामने नहीं आई. पार्टी में बहुत समय हमने कार्य किया. सारी गतिविधियों के चलते मैने पार्टी छोड़ दी.

आगे साय ने कहा, हम लगभग एक सामान्य सदस्य रहे. राज्यपाल की मेरी शुरू से ही इच्छा नहीं थी. बेटी को लेकर भी कोई किसी बात को लेकर कोई बात नहीं हुई, सभी बातें भ्रामक हैं.

उन्होंने कहा, नरवा, गरवा, घुरावा, बाड़ी जमीन पर भी दिखे. कौशल्या माता का घर पूरे देश में दिखे. किसी को बुलाने का काम नहीं है, आने वाले खुद आ जाए जाने वाले चले जाएं. भारतीय जनता पार्टी हमारा पुराना दल है, मेरी सलाह है वो और ताकतवर बने. लोकतंत्र तभी मजबूर रहता है. भाजपा का मैं धन्यवाद करता हूं और आप लोग पार्टी को मजबूत बनाएं. मेरा काम यह रहेगा पार्टी ठीक काम करे, गरीबी बहुत है इसको ठीक करे, इनको उठाने का काम करे.

आगे साय ने कहा, चुनाव में कांग्रेस जीते ये हमारी कोशिश रहेगी. बाकी फैसला जनता करेगी. डिकिस्टिंग जो स्थिति में पहले थी, जो अपने धर्म से विचलित हो गए हो, उसे डिलिस्टिंग किया जाए. आरक्षण को लेकर उन्होंने कहा, 58 प्रतिशत का निर्णय जो आया है, वो ठीक दिशा में है.