Narmada Jayanti 2024: ऐसा कहा जाता है गंगा में स्नान करने से जो फल की प्राप्ति होती है वह मां नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी से निकला हर एक पत्थर शिव जी का प्रतीक है. इसे बाणलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है.

मां नर्मदा को यह वरदान प्राप्त था की नर्मदा का हर बड़ा या छोटा पत्थर बिना प्राण प्रतिष्ठा किये ही शिवलिंग के रूप में सर्वत्र पूजित होगा. अतः नर्मदा के हर पत्थर को नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में घर में लाकर सीधे ही पूजा अभिषेक किया जा सकता है.

यह है इसके पीछे की कथा (Narmada Jayanti 2024)

ऐसा कहा जाता है प्राचीन काल में नर्मदा नदी ने बहुत सालों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया था. प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा आप मुझे गंगा नदी के समान कर दीजिए. ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा कि यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वती जी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है. ब्रह्माजी की ये बात सुनकर नर्मदा जी उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयी और वहां पिलपिला तीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं. उनके इस तप से भगवान शंकर खुश हुए और प्रकट होकर नर्मदा जी से वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा कि तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरण कमलों में मेरी भक्ति बनी रहें. नर्मदा की बात सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और बोले तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंग रूप हो जाएंगे. गंगा में स्नान करने पर पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सभी पापों का नाश करती है, मगर तुम दर्शन मात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी.

इतना सब कहने के बाद भगवान शिव उसी लिंग में लीन हो गए. और शिव जी ये वरदान पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गईं. इसलिए कहा जाता है कि नर्मदा का हर कंकर शिव शंकर का रूप है.