पी रंजन दास, बीजापुर. स्वाधीनता दिवस के जश्न के बीच बीजापुर के अंदरूनी इलाकों से तिरंगे की शान में जज्बे भरी तस्वीरें भी निकलकर सामने आई है. जहां माओवाद की बंदिशों की बेड़ियों को तोड़कर एक बार फिर विकास की राह पर चल पड़े हैं. सालभर पहले शिक्षा विभाग के प्रयासों ने बन्द पड़े स्कूलों को खोलकर शिक्षा की राह को आसान बनाया है. इस स्वाधीनता दिवस पर उन गांवों की तस्वीरें खुशियों को बयां कर रही है.

बता दें कि, ये तस्वीर मनकेली गांव की है. जहां गांव में शेड्नुमा भवन में स्कूल संचालित है. ठीक बाहर प्रांगण में तिरंगे को फहराने की तैयारी थी. ठीक तिरंगे के सामने पंक्ति बद्ध यूनिफॉर्म पहने बच्चे विश्राम की मुद्रा में दिखे. बच्चों और इन्हें पढ़ाने वाले शिक्षा दूतों का जज्बा देखते बन पड़ रहा था.

हालांकि, बीजापुर जिला मुख्यालय से मनकेली गांव कमोवेश 12 किमी दूर है. मनकेली से पहले गोरना गांव पड़ता है.
गोरना से कुछ किमी पहले तक सड़क बनी है, लेकिन विडंबना की मुख्यालय का करीबी मनकेली गांव अब भी माओवाद की बेड़ियों से बाहर नहीं आ सका है. नतीजतन मनकेली गांव का पिछड़ापन दिया तले अंधेरे की कहावत को आज भी चरितार्थ कर रहा है. तमाम परिस्थितियों के बाद भी तिरंगे की शान यहां कम नहीं हुई. बुलंद हौसलों ने बंदिशों को लांघकर तिरंगे तले राष्ट्रगान गाया. यह तस्वीर ही माओवाद की मांद में मुस्कुराते कल को बयां कर रही है.

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