इस गंभीर बीमारी के विषय में जाने से पहले यह जानकारी लेना जरूरी है कि कम उम्र ही लड़कियों को क्यों हो रहा कैंसर? जो महिलाएं अनहेल्दी लाइफस्टाइल जैसे, शराब और तम्बाकू का ज्यादा सेवन करती हैं या शारीरिक गतिविधि कम या बिल्कुन नहीं करती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है. वहीं, जिनके परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा है, उन्हें भी का खतरा ज्यादा होता है.

देश में प्रत्येक वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है, ताकि जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए शुरुआती कैंसर का पता लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके. Read More – टल गई फिल्म Adipurush की रिलीज डेट, नई डेट अनाउंस करने हुए मेकर्स ने कहा – वादा किया था …

डरावने हैं ये आंकड़े

भारत में पश्चिमी देशों के मुकाबले ब्रेस्ट कैंसर तेजी से फैल रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है, विश्व स्तर पर लगभग 18 मिलियन मामले कैंसर से संबंधित थे, जिनमें से 1.5 मिलियन मामले अकेले भारत से थे. वर्ष 2040 तक भारत में नए मामलों की संख्या दोगुनी होने का अनुमान जताया गया है.

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर जाने कैंसर का कौन सा ग्रेड कितना खतरनाक होता है?

ग्रेड 1 को लो ग्रेड नंबर कहा जाता है. इसका मतलब कि कैंसर धीरे-धीरे बढ़ रहा है और इसके फैलने की संभावना काफी कम है. ग्रेड 2 को इंटरमीडिएट ग्रेड नंबर कहा जाता है. इसका मतलब कि कैंसर ग्रेड 1 से तेज और ग्रेड 3 से धीरे बढ़ रहा है. ग्रेड 3 को हाई ग्रेड नंबर कहा जाता है. इसका मतलब कैंसर तेजी से बढ़ रहा है और इसके फैलने की संभावना ज्यादा है. Read More – Ragi Cheela Recipe : कैल्शियम का मुख्य स्रोत है रागी, नाश्ते में बनाएं रागी का चीला …

मौतों को रोका जा सकता है

कैंसर के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है: मुख्य जोखिम कारकों को छोड़कर कैंसर से होने वाली 40-50 मौतों को रोका जा सकता है. प्रमुख जोखिम वाले कारकों में तंबाकू का उपयोग, शराब का उपयोग, असंतुलित आहार, पराबैंगनी विकिरण का संपर्क, प्रदूषण, पुराने संक्रमण आदि शामिल हैं. कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में सर्जरी, कैंसर की दवाएं या रेडियोथेरेपी शामिल हैं.

सरकार द्वारा की गई पहल

भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को जिला स्तर पर लागू किया जाता है.