पटना: देश में लगाए गए आपातकाल को आज 50 साल पूरे हो गए हैं. 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इस आपात स्थिति की घोषणा की थी, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. वह दौर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है, जिसे आज भी लोग भयावह अनुभव के तौर पर याद करते हैं. आपातकाल की यह कड़वी याद आज भी लोगों के दिलों-दिमाग में ताजा है. इस मौके पर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने भी X पर लंबा चौड़ा पोस्ट कर अपने अनुभव साझा किया है.

तत्कालीन सरकार की तानाशाही का प्रतीक

नीतीश कुमार ने X पर लिखा- ”25 जून, 1975 का वो दिन हम सभी को याद है, जब देश में आपातकाल लागू हुआ था. इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला दिन कहा जाता है. साल 1975 का आपातकाल तत्कालीन सरकार की तानाशाही का प्रतीक था. आपातकाल में जनता की अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगा दी गई थी.”

एकजुट होकर हमने लड़ाई लड़ी

सीएम नीतीश ने आगे लिखा- ”आपातकाल के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने आंदोलन शुरू किया. मैंने भी अपने कई साथियों के साथ इस आंदोलन में भाग लिया तथा आपातकाल का सक्रिय विरोध किया. हम सभी साथियों को तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल में बंद कर दिया गया. लेकिन, देशवासियों ने एकता और साहस का परिचय दिया. एकजुट होकर हमने लड़ाई लड़ी.”

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लोकतंत्र के मूल में जनता की आवाज होती है.

नीतीश कुमार ने कहा- ”आप सभी को पता है कि लोकतंत्र के मूल में जनता की आवाज होती है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करें. बिहार ने हमेशा संविधान, न्याय, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की भावना को अपने विकास का मार्ग बनाया है. हमारा यह संकल्प रहे कि हम संविधान के आदर्शों की रक्षा के लिए सदैव सजग एवं तत्पर रहेंगे.”

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