पटना: देश में लगाए गए आपातकाल को आज 50 साल पूरे हो गए हैं. 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इस आपात स्थिति की घोषणा की थी, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. वह दौर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है, जिसे आज भी लोग भयावह अनुभव के तौर पर याद करते हैं. आपातकाल की यह कड़वी याद आज भी लोगों के दिलों-दिमाग में ताजा है.
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर कहा कि आज एक काला अध्याय का दिन है, दुर्भाग्य का दिन है, लोकतंत्र की हत्या का दिन है. देश के लोगों को यह दिन याद रखना चाहिए. जो लोग उस आंदोलन में शामिल हुए थे वह कांग्रेस की गोद में कैसे खेल सकते हैं? यह सोचने का विषय है.
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गौरतलब है कि आज से 50 साल पहले 25 जून साल 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) सरकार ने देश में इमरजेंसी (Emergency) घोषित कर दी थी. इमरजेंसी के इन 21 महीनों में इंदिरा गांधी ने 48 अध्यादेश जारी किए थे. आपातकाल में सरकार ने कई बार संविधान में संशोधन किया था, जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर के पदों के लिए चुनाव को अदालतों के दायरे से बाहर रखना और प्रस्तावना में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द शामिल करना शामिल था. जिससे विभिन्न कानूनों में संशोधनों से शक्ति संतुलन केंद्र के पक्ष में हो गया था और उच्च न्यायपालिका की शक्तियां कम कर दी गई थीं. ये सबकुछ इमरजेंसी के दौरान किया गया था.
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