सहरसा: देश में लगाए गए आपातकाल को आज 50 साल पूरे हो गए हैं. 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इस आपात स्थिति की घोषणा की थी, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. वह दौर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है, जिसे आज भी लोग भयावह अनुभव के तौर पर याद करते हैं. आपातकाल की यह कड़वी याद आज भी लोगों के दिलों-दिमाग में ताजा है.

आज इस मौके पर बिहार के सहरसा के रहने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह ने भी अपना दर्द बयां किया है. पूर्व सांसद ने जेपी आंदोलन में हिस्सा लेने वाले और इमरजेंसी में जेल की सज़ा काटने वाले लोगों में से एक थे. उन्होंने कहा कि वह देश के लिए एक काला अध्याय था.

आनंद मोहन सिंह ने कहा कि इंदिरा गांधी, एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ‘आयरन लेडी’ और मजबूत महिला नेतृत्व के रूप में जानी जाती थीं, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र के साथ एक बड़ी चूक की और क्रूर मजाक किया. इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ आया.

उन्होंने बताया कि 12 जून को जयप्रकाश नारायण ने चार प्रमुख मुद्दों पर महंगाई, भ्रष्टाचार, कुप्रशासन और बेरोजगारी पर आंदोलन और ‘संपूर्ण क्रांति’ की घोषणा की. इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया. राज नारायण ने रायबरेली चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया.

ये भी पढ़ें- ‘सत्ता को बनाए रखने के लिए संविधान के साथ किया छेड़छाड़’, आपातकाल के 50 साल पूरा होने पर अरुण भारती का कांग्रेस पर हमला