नईदिल्ली. आजादी से पहले दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में गिनती में नहीं आने वाले भारत को दुनिया का सिरमौर बनाने वाले डॉ. वर्गीस कुरियन के जन्मदिन 26 नवंबर को हम राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मना रहे हैं. यह अलग बात है कि श्वेत क्रांति का यह जनक दूध नहीं पीता था.

26 नवंबर 1921 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के कालिकट (वर्तमान में कोझीकोड, केरल) में जन्में डॉ. वर्गीस कुरियन गुजरात के आनंद में 9 सितंबर 2012 को अंतिम सांस लेने से पहले मेहनत, लगन और दूरदृष्टि से भारत को दूध उत्पादन के क्षेत्र में आज उस मुकाम पर पहुंचा दिया है, जिसकी कल्पना करना तब मुश्किल था.

त्रिभुवनदास पटेल और एचएम दालिया के साथ डॉ वर्गीस कुरियन (विकिपीडिया)

भैंस के दूध से पॉउडर बनाने वाले व्यक्ति

वर्ष 1973 में उन्होंने गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन (जीसीएमएमएफ़) की स्थापना करने वाले कुरियन के बदौलत गुजरात के 20 लाख किसानों को रोजगार मिला हुआ है. उनके मॉडल की सफलता से प्रभावित तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उसे देश भर में लागू करने की बात करने के लिए कहा. कुरियन भैंस के दूध से पाउडर मिल्क बनाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे.

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को दुग्ध संयंत्र का भ्रमण कराते डॉ. कुरियन (साभार – विकिपीडिया)

आज अनेक क्षेत्रों में डॉ कुरियन की जरूरत

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत कहते हैं कि जब उन्होंने (सहकारी) आंदोलन की शुरुआत की, तब एक भी सहकारी समिति नहीं थी, आज देश में 15 लाख से ज्यादा सहकारी समितियां हैं. दूध उत्पादन में उनके किए गए कार्य आज हमें उनके अनेक क्लोन की जरूरत है, जो सब्जी में, खाद्य पदार्थ के अलावा अन्य क्षेत्रों में काम करे.

स्वतंत्र भारत में बदलाव के दूत

डॉ वर्गीस कुरियन को शिक्षाविद् टीवी मोहनदास पाई स्वतंत्र भारत में बदलाव के दूत कहते हैं. उनकी वजह से देश में बहुत बदलाव देखने को मिला है. उनके ही प्रयास से भारत दुनिया के अग्रणी दुग्ध उत्पादकों में शुमार हो पाया. भारत एक बहुत बड़ा देश है, जहां एक अरब 30 करोड़ लोग निवास करते हैं. जहां सभी को मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में हमें डॉ कुरियन जैसे हजारों सामाजिक उद्यमी की जरूरत है.

नेशनल मिल्क डे बाइक रैली का आयोजन

नेशनल मिल्क डे के उपलक्ष्य पर अमूल कॉर्पोरेशन की ओर से नेशनल मिल्क डे बाइक रैली का आयोजन किया जा रहा है. जम्मू से शुरू होकर गुजरात तक के 2500 किमी के इस सफर में रैली में शामिल लोग उन किसानों से मिलेंगे, जिनकी जिंदगी को भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीस कुरियन ने बदल कर रख दिया.