रायपुर. नगरीय निकाय चुनाव के अपनी पार्टी को अपेक्षित परिणाम न मिलने से संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे हैं. उन्होंने स्वीकार किया है कि धान खरीदी में हुई गलतफहमी का असर नतीजों पर पड़ा है. रविंद्र चौबे ने इशारों ही इशारों में नौकरशाही पर लगाम कसने की ज़रुरत पर ज़ोर दिया है. उन्होंने इस बात पर भी आशंका जताई कि कांग्रेस सरकार के काम ज़मीन तक पहुंचाने में कोताही हो रही है.

उन्होंने कहा कि अब किसानों की समस्याएं अब खत्म हो चुकी हैं. सीएम ने समय रहते संज्ञान लिया. उन्होंने देखा कि किसानों का परेशानी न हो. कांटा तराजू के लिए बंधन न हो. दिन में जितना हो सके.रविंद्र चौबे ने कहा कि थोड़ी गलतफलमी हुई थी. जिसका असर नगरीय पंचायतों के नतीजे में दिख रहा है.

उन्होंने कहा कि इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में और नियंत्रण करने की क्या जरुरत हो सकती है. इस पर विचार करने की ज़रुरत है. गौरतलब है कि प्रदेश में धान खरीदी पर किसानों को काफी दिक्कत होने की बात सामने आई थी. जिसमें नौकरशाही की भूमिका को लेकर शिकायत की गई थी.

रविंद्र चौबे ने रुझानों के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि नजीते एकतरफा होंगे लेकिन कांग्रेस को छोटे नगरीय निकायों में मिश्रित सफलता मिल रही है. उन्होने कहा कि मिश्रित सफलता के बाद कांग्रेस को इन परिणामों को लेकर आत्मावलोकन करना होगा. चौबे ने कहा कि हालांकि कांग्रेस बीजेपी से ज़्यादा सीटें जीत रही हैं.

चौबे ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि सरकार के इतना करने के बाद भी वैसे रिजल्ट नहीं आ पाए. चौबे ने कहा कि ये देखना होगा कि ब्यूरोक्रेसी में कहीं और नियंत्रण करने की ज़रुरत तो नहीं है. उन्होंने ज़मीन तक काम पहुंचाने की दिशा में और काम करने की ज़रुरत पर ज़ोर दिया. चौबे ने कहा कि जनता की ताकत हमारे पास है लेकन जनमत को इस दिशा में मो़ड़ क्यों नहीं पाए .इस पर विचार करने की ज़रुरत है.

उन्होंने मोहन मरकाम के विधानसभा क्षेत्र कोंडागांव में हार पर कहा कि बहुत सारे मुद्दे होते हैं.  स्थानीय स्तर पर जनता की अपेक्षाओं के आधार पर फैसला होता है.उन्होंने कहा कि इस बात की समीक्षा करेंगे कि ऐसे कौन से स्थानीय मुद्दे थे जिसके कारण सफल नहीं हो पाए.