नवरात्रि (Navratri) का समापन महानवमी के दिन विधि विधान से पूजा करके किया जाता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. साथ ही कन्या को देवी का रूप मानते हुए घर पर आमंत्रित किया जाता है. लेकिन कई बार लोगों को पूरी 9 कन्याएं पूजन के लिए नहीं मिल पातीं. और ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के व्रत का समापन 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही पूरा माना जाता है.

ऐसे में ज्योतिषीयों के अनुसार अगर कन्याओं को भोजन कराने के लिए कन्या ना मिले तो दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि आप मां को लगाए भोग का अंश छत पर पक्षीयों के लिए भी रख सकते हैं. इसका फल कन्या पूजन के सामान ही मिलता है. या फिर आप गौ माता को भी प्रसाद देकर इसका पुण्य पा सकते हैं.

अगर कन्या पूजन के दौरान कोई कन्या कम रह जाती है, तो उसकी पूरी थाली पूरी-हलवा चने का प्रसाद और गिफ्ट-पैसे आदि बाहर किसी मंदिर में दे आएं या फिर कहीं बाहर जाकर किसी कन्या को पकड़ा दें. इसके साथ ही, कन्या के वहीं पर पैर छूना न भूलें.

अगर आप कहीं घर से बाहर हैं और घर पर कन्याओं को भोजन करवाना संभव नहीं है, तो आप सूखे मेवे, धन और कुछ प्रयोग में आने वाली चीजों को कन्या के नाम से पूजा में रखकर पूज लें और फिर बाद में जब भी संभव हो, कन्याओं को दे दें. ऐसा करने से भी कन्याओं को भोजन कराने जितना फल मिलता है.

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